वहाबी देवबंदी (बद मज़हब) को अल्लाह हाफिज़ खुदा हाफिज़ कहना शरई क्या हुक्म है

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वहाबी देवबंदी (बद मज़हब) को अल्लाह हाफिज़ खुदा हाफिज़ कहना शरई क्या हुक्म है


 सवाल  : किया फरमाते हैं उलमा ए ज़वील एहतराम की काफिर या मुर्तद को अल्लाह हाफिज़ खुदा हाफिज़ कहना कैसा है और कहने वाले पर क्या हुकुम सादिर होगा ? मअ दलील जवाब इरसाल फरमा कर शुक्रिया का मौक़ा दें

 साईल :  अदनानुल क़ादरी


 जवाब  : सुरते मज़कूरा में वहाबी देवबंदी वगैरा अपने आक़ाईदे कुफ्रिया क़तईया के बाअस काफिर व मुर्तद और इस्लाम से खारिज हैं इसलिए उनको अल्लाह हाफिज़ खुदा हाफिज़ कहना नाजायज़ व हराम है क्योंकि यह दुआईया जुमला है और काफीर व मुर्तद के लिए दुआ करना नाजायज़ है जैसा कि हुजूर ﷺ का फरमाने इबरत निशान है  जो किसी बदमज़हब को सलाम करेगा उससे बकुशादा पेशानी मिलेगा या ऐसी बात के साथ उस से पेश आए जिसमें उसका दिल खुश हो उसने उस चीज़ की तहक़िर की जो अल्लाह ﷻ ने मोहम्मद ﷺ पर उतारी (तारीख ए बग़दाद जिल्द १० सफा २६२)

 रसूलुल्लाह ﷺ का फरमाने आलीशान है कि  जिसने किसी बद मजहब की ताज़ीम व तौक़िर की उसने दीन के ढ़ा देने पर मदद दी

 ((اَلْمُعْجَمُ الْاَ وْسَط لِلطَّبَرانِیّ ج۵ص۱۱۸حدیث ۶۷۷۲ ))

 सरकार ए आला हज़रत रहमतुल्लाह अलैह फतावा ए रिज़वीया शरीफ जिल्द २१ सफा १८४ पर फरमाते हैं कि 

 सुन्नियों को गैर मज़हब वालों से एखतिलात मेलजोल नाजायज़ है खुसूसन यूँ की वह बदमज़हब अफसर हों यह (सुन्नी) मा तिहत (قالَ اللّٰہ تعالٰی) यानी अल्लाह ﷻ फरमाता है 

 وَ اِمَّا یُنْسِیَنَّكَ الشَّیْطٰنُ فَلَا تَقْعُدْ بَعْدَ الذِّكْرٰى مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِیْنَ(۶۸) (پ۷ الانعام ۶۸)

 और जो कहीं तुझे शैतान भुलावे तो याद आए पर ज़ालिमों के पास ना बैठ (कंज़ुल ईमान)

 रहमते आलम ﷺ का फरमान ए मोअज़्ज़म है  तुम उनसे दूर रहो और वह तुमसे दूर रहें कहीं तुम्हें गुमराह ना कर दें और फितने में ना डाल दें

 (( مقدمہ صحیح مسلم ص۹حدیث ۷))

والله و رسولہ اعلم باالصواب

 अज़ क़लम  
मोहम्मद नूर जमाल रिज़वी

 हिंदी ट्रांसलेट 
 मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)



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