यह कहना कैसा है कि मेरे देश की धरती फितना उगले

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 यह कहना कैसा है कि मेरे देश की धरती फितना उगले


 सवाल  क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस शेर के बारे में कि ज़ैद कहता है पहले लोग कहते थे
 मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोतीमेरे देश की धरती मेरे देश की धरती
लेकिन मैं अब इसको इस तरह पढ़ता हूं
 मेरे देश की धरती फितना उगले उगले योगी मोदीमेरे देश की धरती मेरे देश की धरती,
बकर कहता है कि यह गलत है कि धरती की शान में गुस्ताखी है इस तरह नहीं कहना चाहिएजबकि ज़ैद कहता है कि यह जुमला धरती की शान में गुस्ताखी गलत है क्योंकि गैर मुस्लिम धरती की पूजा करते हैं हम नहींआया कौन हक़ पर है उलमा ए किराम जवाब इनायत फरमाएं

 साईलमोहम्मद रिज़वान (गोंडा)

 जवाब  ज़ैद का यह कहना कि मेरे देश की धरती फितना उगले उगले योगी मोदी बिल्कुल गलत हैक्या उसने या नहीं देखा कि इस धरती पर उलमा ए हक़ उलमा ए अहले सुन्नत पीरान ए एज़ाम व मुफ्तियान ए किराम की जमाअत है इसी धरती पर औलाद ए रसूल की ज़ात है क्या यह सब फित्तीन हैं (معاذ اللّٰہ رب العالمین)

 ज़ैद को अपने जुमले से रुजू करना चाहिए और तौबा करनी चाहिए और बकर का यह कहना कि यह धरती ज़मीन की शान में गुस्ताखी है बेशक दुरुस्त हैक्योंकि हमें वतन से मोहब्बत करने का सबक नबी ए करीम ﷺ से मिला है इसलिए हम जिस धरती पर रहते हैं उससे मोहब्बत करेंगे क्योंकि हम इसी से पैदा हुए इसी पर चले बढ़े और इसी के अंदर जाना है यही वजह है कि जब हमारे मां बैन कोई इंतक़ाल करता है तो हम मिट्टी देते वक़्त कहते हैं
 مِنْھَا خَلَقْنٰکُمْ وَفِیْھَا نُعِیْدُکُمْ وَمِنْھَا نُخْرِجُکُمْ تَارَۃً اُخْرٰی
 हमने ज़मीन ही से तुम्हें बनाया और इसी में तुम्हें फिर ले जाएंगे और इसी से तुम्हें दोबारा निकालेंगे

 (کنز الایمان ،سورہ طہ ۵۵)

 ज़ैद का यह कहना कि धरती की शान में गुस्ताखी वाला जुमला पूजना है यह उसकी नादानी व जिहालत है मसलन ज़ैद एक आलिम ए दीन है बकर ने ज़ैद को गाली दी उमर ने बकर से कहा ज़ैद की शान में गुस्ताखी ना करो अब इसका मतलब यह ना होगा कि उमर ज़ैद को पूज रहा है बल्कि इसका मतलब यह होगा कि उमर ज़ैद से मोहब्बत रखता हैइसी तरह यह कहना कि धरती की शान में गुस्ताखी है इसका मतलब यह होगा कि ज़मीन से मोहब्बत रखता है ना की पूजा करता है,

 हां अगर बकर कहे कि मेरा अक़ीदा पूजना के माना में है तो बेशक वो काफिर है लेकिन जब तक साहिल के बारे में ना मालूम हो तो कुफ्र का हुक्म नहीं लगा सकते बल्कि बंद ए मोमिन पर हंसने ज़न रखना चाहिए

 जैसा कि इरशाद ए रब्बानी है 
 یٰٓاَیُّہَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوا اجْتَنِبُوْا کَثِیْرًا مِّنَ الظَّنِّ اِنَّ بَعْضَ الظَّنِّ اِثْمٌ وَّلَا تَجَسَّسُوْا وَلَا یَغْتَبْ بَّعْضُکُمْ بَعْضًا اَ یُحِبُّ اَحَدُکُمْ اَنْ یَّاْکُلَ لَحْمَ اَخِیْہِ مَیْتًا فَکَرِہْتُمُوْہُ وَاتَّقُوا اللّٰہَ ۔ اِنَّ اللّٰہَ تَوَّابٌ رَّحِیْمٌ
 ऐ ईमान वालो ! बहुत गुमानों से बचो बेशक कोई गुमान गुनाह हो जाता है और एेब ना ढूंढो और एक दूसरे की ग़िबत ना करो क्या तुम्हें कोई पसंद रखेगा कि अपने मेरे भाई का गोश्त खाए तो यह तुम्हें गवारा ना होगा और अल्लाह से डरो बेशक अल्लाह बहुत तौबा कुबूल करने वाला मेहरबान है,

 (کنز الایمان،سورۃ الحجرات آیت نمبر۱۲)

 और नबी करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया 
 ایاکم والظن فان الظن اکذب
 बस गुमानी से बचो क्योंकि बद गुमानी सबसे बड़ी झूठी बात है,

 (صحیح البخاری کتاب الوصایا جلد ۱ ؍۳۸۴)

 और यह कहना की धरती फितना उगले याद रहे कि धरती फितना नहीं उगलती बल्कि लोग फितने वाला काम करके खुद फितना में मुबतला हो जाते हैं मसलन गुनाह कसरत से करने लगते हैं तौल में कमी बेशी करने लगते हैं तो अल्लाह ﷻ उन पर ज़ालिम बादशाहों को मुसल्लत कर देता है,

 जैसा की हदीस शरीफ में है 
 یَا مَعْشَرَ الْمُہَاجِرِینَ خَمْسٌ إِذَا ابْتُلِیتُمْ بِہِنَّ وَأَعُوذُ بِاللہِ أَنْ تُدْرِکُوہُنَّ لَمْ تَظْہَرِ الْفَاحِشَۃُ فِی قَوْمٍ قَطُّ حَتَّی یُعْلِنُوا بِہَا إِلَّا فَشَا فِیہِمْ الطَّاعُونُ وَالْأَوْجَاعُ الَّتِی لَمْ تَکُنْ مَضَتْ فِی أَسْلَافِہِمْ الَّذِینَ مَضَوْا وَلَمْ یَنْقُصُوا الْکَیْلَ وَالْمِیزَانَ إِلَّا أُخِذُوا بِالسِّنِینَ وَشِدَّۃِ الْمَئُونَۃِ وَجَوْرِ السُّلْطَانِ عَلَیْہِمْ وَلَمْ یَمْنَعُوا زَکَاۃَ أَمْوَالِہِمْ إِلَّا مُنِعُوا الْقَطْرَ مِنَ السَّمَائِ وَلَوْلَا الْبَہَائِمُ لَمْ یُمْطَرُوا وَلَمْ یَنْقُضُوا عَہْدَ اللہِ وَعَہْدَ رَسُولِہِ إِلَّا سَلَّطَ


اللہُ عَلَیْہِمْ عَدُوًّا مِّنْ غَیْرِہِمْ فَأَخَذُوا بَعْضَ مَا فِی أَیْدِیہِمْ وَمَا لَمْ تَحْکُمْ أَئِمَّتُہُمْ بِکِتَابِ اللہِ وَیَتَخَیَّرُوا مِمَّا أَنْزَلَ اللہُ إِلَّا جَعَلَ اللہُ بَأْسَہُمْ بَیْنَہُمْ
 अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि अल्लाहू अन्हू कहते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ हमारे तरफ मुतवज्जह हुए और फरमाने लगेए मुहाजिरीन की जमाअतपांच चीज़ें ऐसी हैं कि जब तुम इन में मुबतला हो जाओगे और मैं अल्लाह से पनाह तलब करता हूं कि तुम इनमें मुबतला हो जाओकिसी भी क़ौम में जब खुलेआम गुनाह होता है तो उन में ताउन और भूख की ऐसी बीमारियां जन्म लेती है जो उनके पहले लोगों में नहीं हुई होतेंऔर जब कोई क़ौम पैमाना और तौल कम कर देती है तो उन्हें क़हतसख्तमुशक्कत और ज़ालिम बादशाह का सामना करना पड़ता हैऔर जब कोई क़ौम अपने माल की ज़कात रोक लेती है तो आसमान से बारिश रुक जाती हैअगर जानवर ना हो तो उन्हें पानी का एक क़तरा ना मिलेऔर जब कोई क़ौम अल्लाह ﷻ और उसके रसूल ﷺ अहद तोड़ती है तो अल्लाह ﷻ उन पर उनके अलावा कोई दूसरा दुश्मन मुसल्लत कर देता हैतो वह उनके हाथों में जो कुछ होता उसमें से कुछ छीन लेते हैंऔर जब किसी क़ौम के हुक्मरान अल्लाह ﷻ की किताब से फैसले नहीं करते और अल्लाह ﷻ की नाज़िल करदा है शरीयत को अख्तियार नहीं करते तो अल्लाह तआला उन्हें आपस के एख्तिलाफात में मुबतला कर देता है,

 (سلسلتہ الصحیح حدیث نمبر ۱۸۶۷)

 लिहाज़ा ज़ैद पर लाज़िम है कि अपने जुमले से रुजू करके तौबा कर ले और हम जिस मुल्क में रहते हैं इस मुल्क से यानी अपने वतन से अपनी ज़मीन से मोहब्बत करें इसी में भलाई है

والله و رسولہ اعلم بالصواب

 
 अज़ क़लम

  फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी

हिंदी ट्रांसलेट

मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)

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