(मसबूक़ से वाजिब छूट जाए तो सजदए सहव करना होगा?)

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 (मसबूक़ से वाजिब छूट जाए तो सजदए सहव करना होगा?)

अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू 
किया फरमाते हैं उलमाए किराम इस मसअलह के बारे में कि मुक्तदी ने इमाम को आखरी रकात या क़ाइदए अखीरा में पाया और सलाम के बाद जितनी रकात छुटी थी उसे पूरी करने के दरमियान भूल कर वाजिब छूट गया तो किया वह सजदए सहव करेगा या नहीं?

साइल:- मुहम्मद रेहान रज़ा, मुंबई

व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू 
बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम 

अल'जवाब:सूरते मसऊला में शरीयते ताहिराः कि रोशनी में इमाम के सलाम के बाद छुटी हुई रकातें पूरी करने में नमाज़ी मसबूक़ है और मसबूक़ मुंफरिद (अकेले) की मंजिल में होता है, तो जिस तरह से मुंफरिद पर वाजिब के छूटने से सजदा सहव वाजिब होता है उसी तरह से मसबूक़ (जिसकी एक या उससे ज़्यादा रकात छुटी हो) पर छुटी हुई रकात में वाजिब के छूट जाने से सजदा सहव वाजिब होगा।लिहाज़ा सवाल में जो सूरत बताई गई है उसपर सजदा वाजिब है।

इमाम अलाउद्दीन समरक़ंदी फरमाते हैं 

اذا سجد معه،ثم قام الى قضاء ما سبق به وسها فيه، فعليه ان يسجد ثانيا وان كانت تكرارا، لانه فيما يقضی كالمنفرد، فيكون صلاتين حكما

(तोहफतुल फ़ुक़्हा, चैप्टर अस्सहव, पेज़ नo 216 पार्ट 1 दारुल कुतुब अलिम्या बैरूत लेबनान)

तर्जमा: जब मसबूक़ ने इमाम के साथ सजदा सहव किया, फिर अपनी छुटी हुई रकातें पूरी करने के लिये खड़ा हुआ और उसमें भी भूल गया तो उसपर दूसरी मर्तबा सजदा सहव वाजिब है, अगरचे यह सजदा सहव का तकरार (डबल) है, क्योंकि मसबूक़ जो छुटी हुई रकातें अदा कर रहा है उसमें वह अकेले नमाज़ अदा करने वाले की तरह है, लिहाज़ा हुक्मी तौर पर यह दो नमाज़ें होंगी।वल्लाहु तआला आलम व रसूलहु आलम

लेखक
मुहम्मद अयाज़ हुसैन तस्लीमी 
हिन्दी अनुवादक 
मुजस्सम हुसैन मिस्बाही (गोड्डा झारखण्ड)
दिनांक: 12 जनवरी 2025
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