( मुसाफिर कहीं 10 दिन क़याम करे तो क़स्र करेगा ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूहसवाल : क्या फरमाते हैं उल्मा ए किराम इस मसअला के बारे में कि अगर कोई शख्स 10 दिन तक मक्का में रहेगा तो नमाज़ क़स्र पढ़ेगा या पूरी ?
जल्द अज़ जल्द जवाब इनायत फरमाएं नवाज़िश होगी।
साइल : मुहम्मद फरहान अख्तर कर्नाटक
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : जब कोई आदमी अपने शहर से मुसाफहत सफर के क़स्द से किसी जगह जाए और वहां 15 दिन से कम ठहरने का इरादा हो तो नमाज़ में क़स्र करेगा। लिहाज़ा मज़कूरा (सवाल) में क़स्र का हुक्म है।हज़रत शेख निज़ामुद्दीन और उलमा ए हिंद की एक जमाअत ने तहरीर फरमाया है कि
"إن نوى الإقامة أقل من خمسة عشر قصر هكذا في الهداية اه..."
तर्जुमा : अगर 15 दिन से कम ठहरने की नियत हो तो क़स्र करेगा।
(فتاویٰ ہندیہ، جلد ۱، صفحہ ١٣٩، مطبوعہ بولاق مصر المحمیۃ)
और इसी में है
"فرض المسافر فی الرباعیۃ رکعتان والقصر واجب عندنا کذا فی الخلاصة"
तर्जुमा : मुसाफिर का फर्ज़ चार रकअत वाली नमाज़ में दो रकअत है और क़स्र हमारे नज़दीक़ वाजिब है ऐसा ही "खुलासतुल फतावा" में है(फतावा हिंदिया जिल्द १ पेज १३९)
सदरुश्शरीआ मुफ्ती मुहम्मद अमजद अली आज़मी अलैहिर्रहमा तहरीर फरमाते हैं कि:" मुसाफिर उस वक़्त तक मुसाफिर है जब तक अपनी बस्ती में पहुंच ना जाए या आबादी में पूरे 15 दिन ठहरने की नियत ना कर ले, यह उस वक़्त है जब तीन दिन की राह चल चुका हो और अगर तीन मंज़िल पहुंचने से बेशतर वापसी इरादा कर लिया तो मुसाफिर ना रहा अगर्चे जंगल में हो.......।(बहारे शरीअत जिल्द 1 सफा 744, मतबूआ मकतबतुल मदीना)
और इसी में है:" मुसाफिर पर वाजिब है कि नमाज़ में क़स्र करे यानी चार रकअत वाले फर्ज़ को दो पढ़े इसके हक़ में दो ही रकअतें पुरी नमाज़ है और क़सदन चार पढ़ें और दो पर क़अदा किया तो फर्ज़ अदा हो गए और पिछली दो रकअतें नफिल हुई, मगर गुनहगार व मुस्तहिक़े नार हुवा कि वाजिब तर्क किया, लिहाज़ा तौबा करे और दो रकअत पर क़अदा ना किया, तो फर्ज़ अदा ना हुए और वह नमाज़ नफिल हो गई।(बहारे शरीअत जिल्द 1 हिस्सा 4 सफा 743, मतबूआ मकतबतुल मदीना)वल्लाहु तआला व रसूलुहुल आला आलमु बिस्सवाब अज़्ज़ व जल व सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम
अज़ क़लम
अब्दुल वकील सिद्दीक़ी नक्शबंदी फलोदी राजस्थान अल हिंद (खादिमुत्तदरीस : अल जामिअतुस सिद्दीक़िया सुजा शरीफ बाड़मेर राजस्थान अल हिंद)
16 जमादिल उला 1446 हिजरी मुताबिक़ 19 नवम्बर 2024 ब रोज़ मंगल
हिंदी अनुवादक
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
19 जमादिल उला 1446 हिजरी मुताबिक़ 22 नवम्बर 2024 ब रोज़ जुमआ
मीन जानिब : मसाइले शरइय्या ग्रुप