(क्या ज़कर (Ling) का सर दुबुर (ass hole) में दाखिल करने से गुस्ल वाजिब हो जाता है ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूहसवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम मसअला ज़ेल के बारे में कि ज़कर का हश्फा (Glans) आगे पीछे के मक़ाम में गुम हो जाने से गुस्ल फर्ज़ हो जाता है।अब अगर किसी मर्द का ज़कर तवील हो कि वह अपना ज़कर पकड़ कर अपनी ही दुबुर में दाखिल करे कि हश्फा मुकम्मल दाखिल हो जाए तो ऐसी सूरत में उस पर गुस्ल फर्ज़ होगा कि नहीं ?
साइल : अब्दुल्लाह अंसारी यूपी
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : अव्वलन, औरत या मर्द या खुद की दुबुर में दुखूले हश्फा (Glans) व ज़कर (Ling) हराम है, मज़कूर शख्स पर तौबा लाज़िम है।सानियन, औरत या मर्द या खुद की दुबुर में दुखूले हश्फा व सरे ज़कर (Glans) मुजिबे सबबे गुस्ल है।हज़रत इमाम हाफिज़ शमसुद्दीन ज़हबी रहमतुल्लाहि तआला अलैह फरमाते हैं
"وأجمع المسلمون على أن التلوط من الكبائر التي حرم الله تعالى""اَتَاْتُوْنَ الذُّكْرَانَ مِنَ الْعٰلَمِیْنَۙ تَذَرُوْنَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُمْ مِّنْ اَزْوَاجِكُمْؕ-بَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ عٰدُوْنَ"
(सुरतुश्शुअरा आयत 165 ता 166)
"أي مجاوزون من الحلال إلى الحرام"
और मुसलमानों का इस बात पर इज्मअ है कि लवातत (बद फेअली) कबीरा गुनाहों में से है जिसे अल्लाह तआला ने हराम क़रार दिया,क्या तुम लोगों में से मर्दों से बद फेअली करते हो, और अपनी बीवियों को छोड़ने हो जो तुम्हारे लिए तुम्हारे रब ने बनाई हैं बल्कि तुम लोग हद से बढ़ने वाले हो,यानी तुम हलाल से हराम की तरफ तजावुज़ करते हो।(किताबुल कबाइर सफा 66)
फक़ीहुन नफ्स हज़रत इमाम अजल फखरुद्दीन हसन बिन मंसूर क़ाज़ी खान रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं
"عن محمد رحمه الله تعالى إذا التقى الختانان وتوارت الحشفة يجب الغسل، وعن أبي يوسف رحمه الله تعالى إذا توارت الحشفة في قبل أو دبر من الآدمي يجب الغسل على الفاعل والمفعول به وهو الصحيح، فإن الإيلاج في الدبر يوجب الغسل على الفاعل والمفعول به وإن لم يوجد فيه التقاء الختانين ،"
हज़रत इमाम मुहम्मद रहमतुल्लाहि तआला अलैह से मनक़ूल है कि जब दो शर्मगाहें मिल जाएं और मर्द के अज़ुव मखसूस का सर (हश्फा,Glans) छुप जाए तो गुस्ल वाजिब हो जाता है।
हज़रत इमाम अबू यूसुफ रहमतुल्लाहि तआला अलैह से मनक़ूल है कि जब आदमी के अगले या पिछले हिस्से में हश्फा (Glans) छुप जाए तो फाइल और मफऊल दोनों पर गुस्ल वाजिब हो जाता है यही सहीह है क्यों कि पिछले रास्ते में अज़ुव मखसूस को दाखिल करने से भी गुस्ल वाजिब हो जाता है अगर्चे यहां दोनों शर्मगाहों का मिलना इत्तक़ा ए खतनैन (التقائے ختنین) नहीं पाया जाता।(फतावा क़ाज़ी खान जिल्द 1 सफा 44 ता 45)
फतावा हिंदिया में है
" السبب الثاني الإيلاج ، الإيلاج في أحد السبيلين إذا توارت الحشفة يوجب الغسل على الفاعل والمفعول به أنزل أو لم ينزل وهذا هو المذهب لعلمائنا كذا في المحيط، "
दूसरा सबब जनाबत का दुखूल दोनों रास्तों में से किसी रास्ते में हो जब भी हश्फा (Glans) छुप जाए तो फाइल मफऊल यह दोनों पर गुस्ल वाजिब कर देता है इंज़ाल हो या ना हो यही दुरुस्त मज़हब है हमारे उलमा का यही मुहीत है में लिखा है।(फतावा हिंदिया जिल्द 1 सफा 18)
बहारे शरीअत में है:हश्फा (Glans) यानी सरे ज़कर का औरत के आगे या पीछे या मर्द के पीछे दाखिल होना दोनों पर गुस्ल वाजिब करता है, शहवत के साथ हो या बगैर शहवत, इंज़ाल हो या ना हो बशर्त कि दोनों मुकल्लफ हों।
(बहारे शरीअत जिल्द 1 सफा 323)वल्लाहु आलमु बिस्सवाब
अज़ क़लम
मुहम्मद मेराज रज़वी वाहिदी
हिंदी अनुवादक
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
21 जमादिल औव्वल 1446 हिजरी मुताबिक़ 24 नवम्बर 2024 ब रोज़ इतवार
मीन जानिब : मसाइले शरइय्या ग्रुप