(आज़माने के लिए सवाल करना कैसा है ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूहसवाल : क्या फरमाते हैं उल्मा ए किराम इस मसअला में कि मसअला जानते हुए आलिम को आज़माने के लिए मसअला पूछना कैसा है ?
साइल : शहबाज़ रज़ा इंडिया
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : अल्लाह तआला जल शान्हू ने सवाल करने का हुक्म दिया है मगर उन्हें जिन्हें इल्म नहीं है ताकि जहालत में कोई ना जायज़ व हराम काम ना करे लिहाज़ा हुक्म दिया
"فَسْــٴَـلُـوْۤا اَهْلَ الذِّكْرِ اِنْ كُنْتُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ"
तो एै लोगो इल्म वालों से पूछो अगर तुम्हें इल्म नहीं (सूरह नहल 43)
तो जिसे इल्म नहीं है वह बिला तकल्लुफ पूछ सकता है मगर इल्म होते हुए आज़माने के लिए या ज़लील करने के लिए पूछना ना जायज़ व हराम है।जैसा की हुज़ूर शारेह बुखारी हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ्ती मुहम्मद शरीफुल हक़ अमजदी रहमतुल्लाहि अलैह फरमाते हैं कि उलमा का इम्तिहान लेने या उन्हें ज़लील करने की नियत से (सवाल) पूछना हराम है । (नुज़हतुल क़ारी शरह सहीहुल बुखारी जिल्द 1 सफा 352) वल्लाहु आलमु बिस्सवाब
अज़ क़लम
मुहम्मद मासूम रज़ा नूरी अफी अंह
13 जमादिल औव्वल 1446 हिजरी मुताबिक़ 16 नवम्बर 2024 ब रोज़ हफ्ता
हिंदी अनुवादक
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
13 जमादिल औव्वल 1446 हिजरी मुताबिक़ 16 नवम्बर 2024 ब रोज़ हफ्ता
मीन जानिब
मसाइले शरइय्या ग्रुप