(नसतईन को नसताईन पढ़ना कैसा है?)
सवाल: ज़ैद नमाज़ में सुरह फातिहा पढ़ते हुए नसतईन को नसताईन पढ़ता है नमाज़ का क्या हुक्म है?
जवाब: इस तरह पढ़ने से नमाज़ फासिद हो जाती है,: जैसा कि हुज़ूर फक़ीहे मिल्लत मुफ्ती जलालुद्दीन अमजदी अलैहिर्रहमां फतावा रज़विया जिल्द सोम सफा १९१ के हवाले से तहरीर फरमाते हैं :नसतईन को अलिफ के साथ नसताईन पढ़ना बे माना है इसलिए इस से नमाज़ फासिद हो जाती है,(माखूज़ : फतावा फैजुर रसूल जिल्द १ सफा ३५०/मुफसिदाते नमाज़ का बयान/मतबुआ शब्बीर बरादरज़ लाहौर)
والله تعالی اعلم بالصواب
मिन जानिब
ज़हनी अज़माईश उर्दू ग्रुप
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मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)