(मस्जिद के माइक से ऐलान करना कैसा है ?)
सवाल : अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूह क्या फरमाते हैं उल्मा ए किराम मुफ्तियाने एज़ाम की मस्जिद का माइक अपने ज़ाती काम के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं ? मसलन मैंने एक गांव में देखा कि मस्जिद के माइक से एक ऐलान हुआ कि आज फलां शख्स के घर शादी की दअवत गांव के तमाम अफराद की है तो क्या मस्जिद के माइक से ऐसा ऐलान करना दुरुस्त है अगर नहीं तो जिस ने ऐलान किया और जिस ने ऐलान करने को कहा उस पर शरीअत का क्या हुक्म है ?दूसरा यह की औलिया ए किराम के उर्स के मौक़ा पर गांव वालों से चंदा जमा करके तबर्रुक बनाया जाता है और फातिया ख्वानी के बाद मस्जिद के माइक से ऐलान किया जाता है कि सब लोग अपना अपना तबर्रुक ले जाएं क्या इस तरह ऐलान मस्जिद के माइक से करना जायज़ है ? अगर नहीं तो शरीअत का क्या हुक्म है ?दोनों ही जगह से मालूम किया गया तो पता चला कि यहां ऐसा ही माहौल है
साइल : मुजस्सम हुसैन गाज़ीपुर
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : जो चीजें जिस मक़सद के लिए वक़्फ की गई है उसको उसी मक़सद में इस्तेमाल करना चाहिए उसके अलावा दिगर काम में इस्तेमाल करना शरअन जायज़ नहीं है। हां अगर चंदा देने या वाक़िफ की इजाज़त मिली हो तो ऐलान कर सकते हैं यूंही अगर वहां का उर्फ आम हो और चंदा देने वालों को या वाक़िफ को मालूम हो फिर भी मना ना किए हों जब भी ऐलान कर सकते हैंअल्लामा निज़ामुद्दीन हन्फी व जमाअते उल्मा ए हिंद फरमाते हैं
"ولا يجوز تغيير الوقف عن هيئته"(فتاوی ہندیہ جلد 2 کتاب الوقف الباب الرابع عشر في المتفرقات ص 441 مکتبہ دارالکتب العلیمہ بیروت لبنان )
सय्यदी सरकारे आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिस बरैलवी क़ुद्दुस सरहुल क़वी फरमाते हैं कि "मुसलमानों को तगैय्युर वक़्फ का कोई एख्तियार नहीं तसर्रफ आदमी अपनी मुल्क में कर सकता है वक़्फ मालिक हक़ीक़त जल इस्लामी मुल्क खास है उसके बे इज़न दूसरे को इसमें किसी का तसर्रफ का एख्तियार नहीं।
(فتاوی رضویہ شریف جلد 16 ص 233 مکتبہ رضا فاؤنڈیشن لاہور )
फतावा फक़ीहे मिल्लत में है " बहर सूरत मजालिसे खैर के अलावा दिगर दुनयवी मजलिसों में इस्तेमाल की इजाज़त नहीं, और अगर वाक़िफ ने इजाज़त नहीं दी मगर वह जानता था कि इससे मौत का भी ऐलान होगा या चंदा से लाउडस्पीकर खरीदा गया और हर चंदा देने वाला जानता था कि इस से मौत का भी ऐलान होगा तो इस सूरत में भी मौत का ऐलान इस से जायज़ है......।(फतावा फक़ीहे मिल्लत जिल्द दोम बाब फिल मस्जिद सफा 175 मकतबा शब्बीर ब्रादरज़ लाहौर)
फतावा अलिमिया में है : अगर वह माइक चंदा से खरीदा गया है और चंदा देने वाले जानते थे कि लाउडस्पीकर ज़रूरियाते मस्जिद में इस्तेमाल होने के साथ-साथ इस से मौत का ऐलान भी होगा और भी दिगर ऐलान, मसलन ऐलाने जलसा व मिलाद होंगे या किसी एक शख्स ने वह माइक दिया है कि उस से अज़ान और अक़ामत के अलावा दूसरे दीनी उमूर का ऐलान भी कर सकते तो मस्जिद के ऐसे माइक से नमाज़े जनाज़ा वगैरा का ऐलान जायज़ है।(फतावा अलीमिया जिल्द औव्वल अहकामे मस्जिद का बयान सफा 239 / 240 मकतबा शब्बीर ब्रादरज़ लाहौर)वल्लाहु आलमु बिस्सवाब
अज़ कलम
गुलाम शमसुल औलिया मुहम्मद सुल्तान रज़ा शमसी बलहावी नेपालमुक़ीम हाल : दोहा क़तर
12 जमादिल औव्वल 1446 हिजरी मुताबिक़ 13 नवम्बर 2024 ब रोज़ बुध
12 जमादिल औव्वल 1446 हिजरी मुताबिक़ 13 नवम्बर 2024 ब रोज़ बुध
हिंदी अनुवादक
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
11 जमादिल औव्वल 1446 हिजरी मुताबिक़ 14 नवम्बर 2024 ब रोज़ जुमेरात
मीन जानिब : मसाइले शरइय्या ग्रुप
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