(किसी के मरने पर काला कपड़ा पहनना कैसा है ?)

0

 (किसी के मरने पर काला कपड़ा पहनना कैसा है ?)


अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
सवाल : क्या फरमाते हैं उल्मा ए किराम इस मसअला के बारे में कि मैय्यत के इज़हारे गम के लिए काला कपड़ा पहनना कैसा है ? नीज़ पहननेे वाले पर क्या हुक्म है ?
साइल : गुलाम यज़दानी दौलतपुर

व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : इज़हारे गम के लिए काला कपड़ा पहनना ना जायज़ व गुनाह है सिवा ए औरत के कि वह अपने शौहर की वफात पर तीन दिन तक इज़हारे गम के लिए काला कपड़ा पहन सकती है।हज़रत शैख निज़ामुद्दीन और उलमा ए हिंद की एक जमाअत ने तहरीर फरमाया है

" لایجوز صبغ الثیاب اسود تأسفا علی المیت "

तर्जुमा : मैय्यत के सोग के तौर पर सियाह रंग के कपड़े पहनना जायज़ नहीं। (फतावा आलमगीरी पाठ 5 पेज 411)

हुज़ूर सदरुश्शरीआ मुफ्ती अमजद अली आज़मी अलैहिर्रहमा तहरीर फरमाते हैं कि" किसी के मरने के गम में सियाह कपड़े पहनना जायज़ नहीं मगर औरत को तीन दिन तक शौहर के मरने पर गम की वजह से सियाह कपड़े पहनना जायज़ है और सियाह कपड़े गम ज़ाहिर करने के लिए ना हों तो मुतलक़न जायज़ हैं।(बहारे शरीअत जिल्द 2 सफा 243 / मतबूआ मकतबतुल मदीना दअवते इस्लामी)वल्लाहु आलमु बिस्सवाब

अज़ क़लम 
 अब्दुल वकील सिद्दीक़ी नक़्शबंदी फलोदी राजस्थान अल हिंद (खादिमुत्तदरीस 
अल जामिअतुस सिद्दीक़िया सोजा शरीफ बाड़मेर राजस्थान अल हिंद)
14 जमादिल उला 1446 हिजरी मुताबिक़ 17 नवम्बर 2024 ब रोज़ इतवार
हिंदी अनुवादक 
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
17 जमादिल उला 1446 हिजरी मुताबिक़ 20 नवम्बर 2024 ब रोज़ बुध
मीन जानिब : मसाइले शरइय्या ग्रुप

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
एक टिप्पणी भेजें (0)
AD Banner
AD Banner AD Banner
To Top