( इलाज ना कराने के सबब मौत वाक़िअ तो गुनहगार हुवा ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
सवाल : क्या फरमाते हैं उल्मा ए किराम मरीज़ हस्बे इसतिताअत होने के बावजूद इलाज ना कराए और इंतक़ाल हो जाए तो क्या वह गुनहगार होगा उसकी नमाज़े जनाज़ा का क्या हुक्म है ?
साइल : गुलाम अब्दुल क़ादिर बहराइच शरीफ
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : अगर कोई शख्स बीमार है और इलाज ना करवाया और मर गया तो गुनहगार नहीं क्योंकि यहां यक़ीन नहीं की वह शिफा पाही जाएगा, अलबत्ता कोई भूखा या प्यासा है और खाना मौजूद है फिर भी नहीं खाया और मर गया तो गुनहगार होगा, क्योंकि यह बात साबित है कि खाने से भूख मिट जाती है और पीने से प्यास खत्म हो जाती है।फतावा आलमगीरी में है
"" الِاشْتِغَالُ بِالتَّدَاوِي لَا بَأْسَ بِهِ إذَا اعْتَقَدَ أَنَّ الشَّافِيَ هُوَ اللَّهُ تَعَالَى وَأَنَّهُ جَعَلَ الدَّوَاءَ سَبَبًا أَمَّا إذَا اعْتَقَدَ أَنَّ الشَّافِيَ هُوَ الدَّوَاءُ فَلَا, وَلَوْ أَنَّ رَجُلًا ظَهَرَ بِهِ دَاءٌ فَقَالَ لَهُ الطَّبِيبُ قَدْ غَلَبَ عَلَيْك الدَّمُ فَأَخْرِجْهُ فَلَمْ يَفْعَلْ حَتَّى مَاتَ لَا يَكُونُ آثِمًا لِأَنَّهُ لَمْ يَتَيَقَّنْ أَنَّ شِفَاءَهُ فِيهِ كَذَا فِي فَتَاوَى قَاضِي خَانْ, مَرِضَ أَوْ رَمِدَ فَلَمْ يُعَالِجْ حَتَّى مَاتَ لَا يَأْثَمُ كَذَا فِي الْمُلْتَقَطِ."وَالرَّجُلُ إذَا اسْتَطْلَقَ بَطْنَهُ أَوْ رَمِدَتْ عَيْنَاهُ فَلَمْ يُعَالِجْ حَتَّى أَضْعَفَهُ ذَلِكَ وَأَضْنَاهُ وَمَاتَ مِنْهُ لَا إثْمَ عَلَيْهِ فَرْقٌ بَيْنَ هَذَا وَبَيْنَمَا إذَا جَاعَ وَلَمْ يَأْكُلْ مَعَ الْقُدْرَةِ حَتَّى مَاتَ حَيْثُ يَأْثَمُ وَالْفَرْقُ أَنَّ الْأَكْلَ مِقْدَارُ قُوتِهِ مُشْبِعٌ بِيَقِينٍ فَكَانَ تَرْكُهُ إهْلَاكًا وَلَا كَذَلِكَ الْمُعَالَجَةُ وَالتَّدَاوِي كَذَا فِي الظَّهِيرِيَّةِ "(کتاب الکراھیة، الباب الثامن عشر...)
फतावा रज़विया में है इस तरह के एक सवाल के जवाब में है
" इस बात में सिद्दीक़े अकबर और दिगर मुतवक्किलीन रज़ि अल्लाहू तआला अन्हूम का तर्ज़े अमल (दलील) है।
फतावा शामी में है : खाना खाने पर कुदरत रखने के बावजूद कोई शख्स अगर खाना ना खाए और बे वजह भूखे हिलाक हो जाए तो गुनहगार होगा।
जैसा कि अइम्मा ए किराम ने इस की तसरीह फरमाई है, और इलाज से हयात यक़ीनी नहीं बल्कि एक ज़न्नी चीज़ है....
अल्लाह तआला पाक व बर तर खूब जानता है, और उस अज़मत व शान वाले का इल्म मुकम्मल और पाएदार है,(फतावा शामी जिल्द 24 सफा 178 _ 189 रज़ा फाउंडेशन लाहौर)
मज़कूरा बाला इबादत से वाज़ेह हो गया कि इलाज ना कराने के सबब कोई मर जाए तो गुनहगार नहीं होगा जब कि खुद कुशी करना हराम है खुद कुशी करने वाले की नमाज़े जनाज़ा पढ़ने का जब हुक्म आया है तो इलाज ना करा कर मर जाने वाला गुनहगार भी ना होगा तो ज़रूर बिज़्ज़रूर उसकी नमाज़े जनाज़ा पढ़ी जाएगी।वल्लाहु आलमु बिस्सवाब
अज़ क़लम
मुहम्मद मासूम रज़ा नूरी अफी अंह
12 जमादिल औव्वल 1446 हिजरी मुताबिक़ 15 नवम्बर 2024 ब रोज़ जुम्मा
हिंदी अनुवादक
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
13 जमादिल औव्वल 1446 हिजरी मुताबिक़ 16 नवम्बर 2024 ब रोज़ हफ्ता
मीन जानिब : मसाइले शरइय्या ग्रुप