( वालिदैन की रूह को कैसे राज़ी करें ? )
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहूसवाल :- किया फरमाते हैं उलमाए किराम व मुफ्तियाने इज़ाम इस मसअले में कि अगर वालिदैन में से किसी की अचानक मौत हो जाए और औलाद को अपनी गलतियों की माफी मांगने की मोहलत न मिले तो इंतिक़ाल के बाद किया तरीका है कि औलाद की माफी हो सके ?
साइल :- हसन रज़ा बरेली शरीफ
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू
अल'जावाब: अगर औलाद मां बाप को उनकी जिंदगी में खुश रखता था और उनकी खिदमत किया करता था तो मौत के वक्त माफी मांगना कोई लाज़िम व ज़रूरी नहीं है हां अगर वालिदैन को तकलीफ पहुंचाया हो और वह औलाद से नाखुश रहते थे तो यह नज़ाइज़ व हराम है क्योंकि क़ुरआन पाक में कई जगह पर आया है
" وَ بِالْوَالِدَیْنِ اِحْسَانًاؕ "
यानी मां बाप के साथ एहसान करो मतलब अच्छे से पेश आओ ।
औलाद पर ज़रूरी था कि उनकी जिंदगी में ही माफी मांग ले मौत का इंतेज़ार करने की किया जरूरत, फिर भी अगर ऐसा हुआ हो तो औलाद पर लाज़िम है कि सच्चे दिल से तौबा करे अल्लाह पाक तौबा को क़बूल फरमाने वाला है और नबी करीम अलैहिस्सलाम का फरमाने आली शान है
التَّائِبُ مِنْ الذَّنْبِ كَمَنْ لَا ذَنْبَ لَهُ
यानी तौबा करने वाला गुनाहों से ऐसे पाक हो जाता है गोया (मानो) उसने गुनाह ही नहीं किया है
और हर जुमा को वालिदैन की कब्र पर हाज़िर हो कर फातिहा पढ़ कर उनकी रूह को ईसाले सवाब करे और अल्लाह पाक से तौबा करें, हदीस शरीफ में है
عن ابی اھریرتہ قال قال رسول اللہ صل اللہ علیہ وسلم من زار قبر ابویہ او احدھما کل یوم جمعتہ برتہ غفر اللہ لہ وکتب بر
यानी- हज़रत अबु हुरैरा रज़ी अल्लाहु अनहु बयान करते हैं कि रसूले करीम अलैहिस्सलाम ने फरमाया जो माँ बाप दोनों या उनमें से एक की कब्र पर हर जुमा को ज़ियारत के लिये हाज़िर हो तो अल्लाह पाक उसके गुनाह बख्श (माफ) देगा और वह माँ बाप के साथ अच्छा बर्ताव करने वाला लिखा जाएगा ( किताब हवाला कंज़ुल उम्माल )
और सैय्यदी आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमा फरमाते हैं हर दो शम्बा (सोमवार) और पंज शम्बा (जुमेरात) को आमाल अल्लाह पाक के सामने पेश होते हैं और हर जुमा को अम्बिया और मां बाप के सामने पेश होते हैं। वह नेकियों पर खुश होते हैं और उनके चेहरों की नूरानीयत और चमक बढ़ जाती है, तो अल्लाह पाक से डरो और अपने मुर्दों को अपनी बुरे आमाल से तकलीफ न दो (किताब फतावा रज़विया)वल्लाहु तआला आलम व रसूलहु आलम
अज़ क़लम
ताज मोहम्मद क़ादरी वाहिदी
हिंदी अनुवादक
मुजस्सम हुसैन, गोड्डा ( झारखण्ड )
मुक़ीम
गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश
मिन जानिब
मसाइले शरइया ग्रुप