(सूदी कंपनी में काम करना कैसा है?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहूसवाल: किया फरमाते हैं उलमाए किराम व मुफ्तियाने इज़ाम इस मसअले में कि फरीद एक कंपनी में जॉब (काम) करता है वह कंपनी इंडिया के बाहर की है, और फरीद का काम सूद वाले रुपयों के इंटरेस्ट (ब्याज़) का हिसाब किताब करना होगा तो किया फरीद यह नौकरी कर सकता है ?
साइल :- सैयद इरफान ( हैदराबाद दक्कन )
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू
अल'जवाब :- अगर यह कंपनी काफिर की है तो ऐसी सूरत में नौकरी कर सकता है कोई क़बाहत (खराबी,बुराई) नहीं क्योंकि काफिर और मुसलमान के बीच सूद नहीं होता जैसा कि अल्लामा बुरहानुद्दीन अबुल हसन मूतवफ़्फ़ी (वफात पाया हुआ) 593 हिजरी लिखते हैं
ولابین المسلم و الحربی فی دارالحرب ۔ لنا قلولہ علیہ السّلام الربوا بین المسلم و الحربی فی دارالحرب ولان مالھم مباح فی دارھم فبای طریق اخذہ المسلم اخذ مالا مباحا اذا لم یکن فیہ غدر۔(الھدایۃ ، المجلدالثالث ، کتاب البیوع ، ص ۹۰/مکتبہ رحمانیہ لاہور)
और अगर वह कंपनी मुसलमान की है तो ऐसी सूरत में हराम अशद हराम है क्योंकि सूद से मुताअल्लिक जितने भी मामलात हैं मसलन हिसाब व किताब व गवाही वगैरह सब के सब नाजाइज़ है और हमारे नबी मुस्तफा करीम अलैहिस्सलाम ने उन सब पर लानत फरमाई है, जैसा कि हदीस शरीफ में है
عن جابر قال:لعن رسول الله صلى الله عليه وسلم أكل الربا، وموكله، وكاتبه، وشاهديه، وقال: هم سواء
हज़रत जाबिर रज़ी अल्लाहु अनहु से रिवायत है कि नबी करीम अलैहिस्सलाम ने सूद लेने वाले और सूद देने वाले और सूद का काग़ज़ लिखने वाले और इसके गवाहों पर लानत फरमाई और फरमाया कि सब बराबर हैं ।( अस्सही हुल मुस्लिम, जिलद सानी, किताबुल मसाक़ात, पेज नo 27 मजलिस बरकात )
अज़ क़लम
उबैदुल्ला हनफी बरेलवी
हिंदी अनुवादक
मुजस्सम हुसैन, गोड्डा (झारखण्ड)
मुक़ीम :- (गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश)
मिन जानिब :- मसाइले शरइया ग्रुप