( हालते नापाकी में तअवीज़ पहनना कैसा है ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूहसवाल : क्या फरमाते हैं उल्मा ए किराम इस मसअला के बारे में कि हैज़ व निफास वाली औरतें गले में ऐसा तअवीज़ पहन सकती हैं या नहीं जिस तअवीज़ में असमा ए बारी तआला व आयते करीमा लिखी हो ?
साइल : इरशाद आलम गोंडवी
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : ऐसा तअवीज़ जिस पर क़ुरआन मजीद की कोई आयत या अल्लाह तआला का नाम वगैरा कुछ लिखा हुवा हो उसे नापाकी की हालत में छूना और पहनना ना जायज़ है, अलबत्ता अगर उसे किसी कपड़े वगैरा में लपेट दिया गया हो तो उसे पहन सकती है।हज़रत शैख निज़ामुद्दीन और उलमा ए हिंद की एक जमाअत ने तहरीर फरमाया है
"ومنها) حرمة مس المصحف لايجوز لهما وللجنب والمحدث مس المصحف إلا بغلاف متجاف عنه كالخريطة والجلد الغير المشرز لا بما هو متصل به، هو الصحيح. هكذا في الهداية وعليه الفتوى. كذا في الجوهرة النيرة."
तर्जुमा : हैज़ वाली और निफास वाली को और जुंब वाली को और बे वज़ू को क़ुरआन का छूना जायज़ नहीं लेकिन अगर क़ुरआन ऐसे गिलाफ में हो जो उस से जुदा हो जैसे थैली या ऐसी जिल्द जो उस में सिली हुई ना हो तो जायज़ है और जो उस से मुतस्सिल हो तो जायज़ नहीं यही सहीह है यह हिदाया में लिखा है और इस पर फतवा है यह जौहरतुन नैय्यीरह में लिखा है।
(فتاویٰ ہندیہ، جلد ١، صفحہ ٣٨، مطبوعہ بولاق مصر المحمیۃ)
वल्लाहु आलमु बिस्सवाब
अज़ क़लम
अब्दुल वकील सिद्दीक़ी नक्शबंदी फलोदी राजस्थान अल हिंद
(खादिमुत्तदरीस : अल जामिअतुस सिद्दीक़िया सोजा शरीफ बाड़मेर राजस्थान अल हिंद)
12 जमादिल औव्वल 1446 हिजरी मुताबिक़ 15 नवम्बर 2024 ब रोज़ जुम्मा
हिंदी अनुवादक
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
14 जमादिल औव्वल 1446 हिजरी मुताबिक़ 17 नवम्बर 2024 ब रोज़ इतवार
मीन जानिब : मसाइले शरइय्या ग्रुप