(मीलदे मुस्तफा 05)

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(मीलदे मुस्तफा 05)

सवाल 7 : मीलादुन्नबी ﷺ के मौके पर झण्डा लगाना कहाँ से साबित है ? 

जवाब7: इमाम सुयूती रहमतुल्लाहि अलैहि बयान करते हैं कि हुज़ूरे अकदस ﷺ के तशरीफ़ लाने के वक्त हज़रत जिबरईल अमीन عَلَيْهِمُ السَّلاَم  सत्तर हज़ार फ़रिश्तों के झुरमुट में हुज़ूरे अकदस ﷺ के आस्ताना मुबारक पर तशरीफ़ लाए और जन्नत से तीन झण्डे भी लेकर आए, उनमें से एक झण्डा पूरब में गाड़ा, एक पश्चिम में और एक काबा मुअज्जमा पर। ( दलाइलुन्नुबुव्वा , हिस्साः 1 , पेज : 82 ) 

 अलहम्दु लिल्लाह मीलादुन्नबी ﷺ पर झण्डा लगाना फ़रिश्तों की सुन्नत है। 

सवाल 8  : ईद मीलादुन्नबी ﷺ के दिन जुलूस क्यों निकालते हैं ? 

जवाब 8 : आका ﷺ के लिये जुलूस निकालना कोई नई बात नहीं है बल्कि सहाबा रादिअल्लाहु तआला अन्हुमा ने भी जुलूस निकाला है। सहीह मुस्लिम की हदीस में है कि जब आका ﷺ हिजरत करके मदीना तशरीफ़ ले गए तो लोगों ने ख़ूब जश्न मनाया, तो मर्द व औरत अपने घरों की छत पर चढ़ गए और नौजवान लड़के, गुलाम व खुद्दाम रास्तों में फिरते थे और नार ए रिसालत लगाते और कहते या मुहम्मद या रसूलल्लाह ! या मुहम्मद या रसूलल्लाह ! ( सहीह मुस्लिम, हदीसः 7707 )(ईद मीलादुन्नबी सवाल व जवाब की रोशनी में सफह 12)

सवाल 9:ईद मीलादुन्नबी ﷺ के दिन जुलूस क्यों निकालते हैं ? 

जवाब 9: एक रिवायत में आता है कि हिजरते मदीना के मौके पर जब हुज़ूरे अकदस ﷺ मदीना के करीब पहुँचे तो बुरैदा असलमी अपने सत्तर साथियों के साथ दामने इस्लाम से वाबस्ता हुए और अर्ज़ किया कि हुज़ूर मदीना शरीफ़ में आप ﷺ का दाखिला झण्डा के साथ होना चाहिये, फिर उन्होंने अपने अमामे को नेज़ा पर डाल कर झण्डा बनाया और हुज़ूर ﷺ के आगे आगे रवाना हुए। ( वफाउल - वफ़ा हिस्साः 1 , पेजः 243 )

यहाँ ये बात भी याद रखने की है कि जुलूस निकालना सकाफत ( culture ) का हिस्सा है। दुनिया के हर ख़ित्ते में जुलूस निकाला जाता है, कहीं स्कूल व कॉलेज के मा- तहत, तो कहीं सियासी जमाअत के मा- तहत जुलूस निकाला जाता है। कुछ दिन पहले डन्मार्क के एक कार्टूनिस्ट ने नबीए अकरम ﷺ की शान में गुस्ताख़ी की तो पूरे आलमे इस्लाम में जुलूस निकाला गया और एहतिजाज ( प्रदर्शन ) किया गया। इसी तरह ईद मीलादुन्नबी ﷺ के मौके पर पूरे आलमे इस्लाम में मुसलमान जुलूस निकालते हैं और आका ﷺ से मुहब्बत का इज़हार करते हैं। (ईद मीलादुन्नबी सवाल व जवाब की रोशनी में सफह 12)

सवाल10:इस्लाम में दो ही ईदें हैं, ये तीसरी ईद कहाँ से आई ? 

जवाब10:ये कहना कि इस्लाम में सिर्फ दो ईदें हैं सरासर जहालत है। अहादीसे करीमा से साबित है कि जुमुआ भी ईद है। अब जुमुआ ईद क्यों है ? वो भी जान लीजिये। हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रादिअल्लाहु तआला अन्हु रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया : बेशक ये ईद का दिन है जिसे अल्लाह तआला ने मुसलमानों के लिये ( बरकत वाला ) बनाया है, पस जो कोई जुमुआ की नमाज़ के लिये आए तो गुस्ल करके आए और अगर हो सके तो खुशबू लगा कर आए और तुम पर मिस्वाक करना ज़रूरी है। ( इब्ने माजा हिस्साः 1 , हदीसः 1098 ,  

हज़रत अबू हुरैरा रादिअल्लाहु तआला अन्हु रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फ़रमायाः  बेशक जुमुआ का दिन ईद का दिन है, पस तुम अपने ईद के दिन को यौमे सियाम ( रोज़ा का दिन ) मत बनाओ मगर ये कि तुम उसके पहले या उसके बाद के दिन का रोजा रखो। ( सहीह इब्ने खुज़ैमा, हदीस 1980)(ईद मीलादुन्नबी सवाल व जवाब की रोशनी में सफह 14)



मौलाना अब्दुल लतीफ न‌ईमी रज़वी क़ादरी
बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ
8294938262


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