(जल्वए आला हज़रत05)

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  (जल्वए आला हज़रत05)

        

आला हज़रत और फैजाने आला हज़रत !? 


➲  आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा बरेलवी रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने मसलके हक की तरवीज व इशाअत की , दीने हक की दावत व इरशाद का खुशगवार फरीज़ा अंजाम दिया मज़हबे अहले सुन्नत व जमाअत पर होने वाले हमलों का दन्दान शिकन और मुदल्लल जवाब दिया , बातिल ताक़तों के परखचे उड़ा दिए तागूती कुव्वतों के सरनिगू कर दिए उनकी मसाई जमीला से हक व सदाक़त का बोल बाला हुआ ईमान व ईकान की मंज़िल में सच्चाईयों का सूरज तुलू हुआ उसकी जिया बार किरनों से इल्म व अमल के मैदान में सुबहे यकीन का सवेरा हुआ राहे हक से भटके हुए मुसाफिर को अपनी मंज़िल का सुराग व निशान मिला उन्होंने मरासिमे अहले सुन्नत व जमाअत की हिफाज़त व सियानत की और घर घर में इत्तिबाए सुन्नत का माहौल बरपा कर दिया , उनकी इल्मी व दीनी खिदमात के तज़्किरों से तारीख के सफ्हात रौशन व फरोजां हैं ऐसी ही शख्सियात के जिक्र से तारीख़ की जुल्फें संवारी जाती हैं!.


(बा-हवाला, फैज़ाने आला हजरत सफ़ह 47)

   


 मौलाना अब्दुल लतीफ न‌ईमी रज़वी क़ादरी

बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ (सीमांचल)

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