(जल्वए आला हज़रत03)

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 (जल्वए आला हज़रत03)

          

आला हज़रत और फैजाने आला हज़रत !? 


➲  आला हज़रत इमाम अहमद रजा बरेलवी ने कौमे मुस्लिम को इंतिहाई नाजुक और कर्ब अंगेज़ हालात में संभाला दिया। जलालत व गुमराही के अमीक गार में उन्हें गिरने से बचाया मुसलमानों के इश्क व अकीदे की हिफाज़त फरमाई बद मजहबी व बद अकीदगी की तूफानी हवाओं की जद से उन्हें महफूज व मामून रखा , शिर्क व गुम्राही और बिदआत व खुराफात के बादे सुमूम से खुश अक़ीदा मुसलमानों के दीन व ईमान को झुलसने न दिया उनके वजूदे मसऊद के फैज़ व बरकत से कुफ्र व तुग़यान के तारीक व सियाह बादल छट गए अय्याराने जमाना के चेहरों का नकाब उलट दिया , मक्र व रेब के दबीज़ पर्दे तार तार हो गए , अपने खूने जिगर से उन्होंने मज़हब व मिल्लत की आबयारी की , दीन व सुन्नत के रहजनों का मुकाबला किया , शरीअते इस्लामिया की आहनी दीवार को गिरने न दिया , वह इस्लाम के मर्दै मुजाहिद और दीने हक के बतले जलील थे उन्हों ने आदा - ए - दीन की सरकूबी फरमाई , जुल्म व तअद्दी के खिलाफ आवाज बुलन्द की , वक्त के जालिम व जाबिर का पंजा मोड़ दिया हक के खिलाफ हर उठने वाली आवाज का गला चूंट दिया वह दीने हक के पैरू और सच्चे अलमबरदार थे , दीने इस्लाम का अलम बुलन्द किया उन्होंने फरजन्दाने तौहीद को हक व सदाकत का दर्से मुहब्बत और पैगामे अमन व अमान दिया!...

(बा-हवाला, फैज़ाने आला हजरत सफ़ह 47)



 मौलाना अब्दुल लतीफ न‌ईमी रज़वी क़ादरी

बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ (सीमांचल)

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