(नजिस कपड़ा जेब मैं रख कर नमाज़ पढ़ना कैसा है ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूहसवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम मुफ्तियाने एज़ाम इस मसअला में कि नजिस कपड़ा जेब में रखा था लेकिन याद नहीं था ऐसे ही नमाज़ पढ़ ली होगी ?
साइल : अब्दुल्लाह रज़वी चंदौसी
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : जेब में वह नापाक कपड़ा अगर उस में नजासत एक दिरहम से ज़्यादा है तो नमाज़ हुई ही नहीं लिहाज़ा दोबारा पढ़े। और दिरहम बराबर है तो मकरुहे तहरीमी, लौटना वाजिब है।और अगर कम है तो एआदा मुस्तहब।मुहम्मद बिन अली बिन मुहम्मद बिन अली बिन अब्दुर्रहमानुल हन्फीयुल हसकफी ने तहरीर फरमाया है
" (وثوبه) وکذا مایتحرک بحرکته أو یعد حاملا له کصبی علیه نجس ان لم یستمسک بنفسه منع“اه...
तर्जुमा : और उसके लिबास का पैक होना, इसी तरह जो चीज़ उसकी हरकत से हरकत करे या वह उसे उठाने वाला शुमार हो, जैसे वह बच्चा जिस पर नजासत हो और वह खुद को संभाल ना सके, तो यह (नमाज़ को) मानेअ है।(दुर्रे मुख्तार किताबुस्सलाह, बाब शुरूतुस्सलाह, सफा 58)
मुहम्मद अमीन बिन उमर आबिदीन शमी अलैहिर्रहमा तहरीर फरमाया है
" بخلال ما لو حمل قارورة مضمومة فیها بول فلا تجوز صلاتہ لأنہ في غیر معدنه کما في البحر المحیط اه....
तर्जुमा : बखिलाफ इस के की अगर कोई बंदा शीशी में पेशाब लेकर नमाज़ पढ़े तो उसकी नमाज़ जायज़ नहीं होगी, क्योंकि पेशाब अपनी मुक़र्ररा जगह (जिस्म के अंदर) से बाहर है जैसा की "अल बहरुल मुहीत" में ज़िक्र किया गया है।(किताबुस्सलाह, बाब शुरूतुस्सलाह जिल्द 2 सफा 74)
हुज़ूर सदरुश्शरीआ बदरुत्तरीक़ा मुफ्ती अमजद अली आज़मी अलैहिर्रहमा ने तहरीर फरमाया है कि
मुसल्ला अगर ऐसी चीज़ को उठाए हो कि उस की हरकत से वह भी हरकत करे, अगर उस में नजासत मानेअ हो तो नमाज़ जायज़ नहीं मसलन चादर का एक सिरा ओढ़ कर नमाज़ पढ़ी और दूसरे सिरे में नजासत है, अगर रुकूअ व सुजूद व क़याम व क़ुऊद में उसकी हरकत से उस जाए नजासत तक हरकत पहुंचती है, नमाज़ ना होगी, वरना हो जाएगी।(बहारे शरीअत जिल्द 1 सफा 476)
और इसी में है कि अगर नजासत क़दरे मानेअ से कम है, जब भी मकरूह है, फिर अगर नजासते गलीज़ा बक़दरे दिरहम है तो मकरुहे तहरीमी और इस से कम तो खिलाफे सुन्नत।(बहारे शरीअत जिल्द 1 सफा 477)वल्लाहु तआला व रसूलुहुल आला आलमु बिस्सवाब अज़्ज़ व जल व सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम
अज़ क़लम
अब्दुल वकील सिद्दीक़ी नक्शबंदी फलोदी राजस्थान अल हिंद
17 जमादिल उला 1446 हिजरी मुताबिक़ 22 नवम्बर 2024 ब रोज़ जुमआ
हिंदी अनुवादक
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
29 जमादिल उला 1446 हिजरी मुताबिक़ 2 दिसंबर 2024 ब रोज़ सोमवार
मीन जानिब : मसाइले शरइय्या ग्रुप