(इमाम मालिक रहमतुल्लाह तआला अलैह का इश्के रसूल)
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! याद रखिए ! जिस तरह आलिमे मदीना, इश्के रसूल की दौलत से मालामाल थे, जिस तरह आलिमे मदीना एक सच्चे आशिके रसूल थे, जिस तरह आलिमे मदीना का सीना शहरे मुस्तफ़ा की महब्बत से सरशार था, जिस तरह आलिमे मदीना निस्बते रसूल की अहम्मिय्यत व फ़ज़ीलत से पूरी तरह वाकिफ थे, जिस तरह आलिमे मदीना हदीसे रसूल का दिल नशीन अन्दाज़ में अदबो एहतिराम करते थे, जिस तरह आलिमे मदीना हदीसे रसूल की ख़िदमत की बदौलत अवाम व खुवास में मशहूरो मारूफ़ थे, इसी तरह आलिमे मदीना की मुबारक सीरत का एक दिलकश पेहलू यह भी है कि आप इबादतो रियाज़त और तिलावते कुरआन के भी बहुत ज्यादा शैदाई थे। आइए ! उलमाए किराम की जुबानी आप की इबादतो रियाज़त और तिलावते कुरआन से महब्बत की चन्द ईमान अफ़रोज़ झल्कियां सुन कर अपने अन्दर इबादत का जज्बा बेदार करने की कोशिश करती हैं।
हज़रते सय्यदुना अल्लामा काज़ी इयाज़ मालिकी रहमतुल्लाह तआला अलैह लिखते हैं : हज़रते सय्यदुना जुबैर बिन हबीब रहमतुल्लाह तआला अलैह ने फ़रमाया : जब भी किसी ( इस्लामी ) महीने की आमद होती, तो इमाम मालिक रहमतुल्लाह तआला अलैह उस महीने की पेहली रात को शब बेदारी फ़रमाया करते, यानी रात भर जाग कर इबादत करते। मजीद फरमाते हैं : मेरे ख़याल में आप येह इबादत महीने का इस्तिकबाल करने की गरज से किया करते थे। आप की साहिबजादी, फ़ातिमा बिन्ते मालिक रादिअल्लाहु तआला अन्हुमा फरमाती हैं : हज़रते इमाम मालिक रहमतुल्लाह तआला अलैह हर रात अपना वज़ीफ़ा पूरा करते थे और जब जुम्आ की रात आती, तो पूरी रात अल्लाह पाक की इबादत में मश्गुल रेहते।(इस्लामी बयानात जिल्द अव्वल सफ़ह)