(शाने गौ़से आज़म रहमतुल्लाह अ़लैहि10)

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(शाने गौ़से आज़म रहमतुल्लाह अ़लैहि10)

एक आयत के चालीस मानी बयान फरमाए
      हा़फ़िज़ अबुल अ़ब्बास अह़मद बिन अह़मद बगदादी बनदलजी रह़मतुल्लाही अ़लैहि ने साहिबे बहजतुल असरार से फ़रमाया में और तुम्हारे वालिद एक दिन ह़ज़रते शैख़ अब्दुल क़ादिर जिलानी रह़मतुल्लाही अ़लैहि की मजलिस में हा़ज़िर हुवे आप ने एक आयत की तफ़्सीर में एक मानी बयान फ़रमाया तो मेने तुम्हारे वालिद से कहा ये मानी आप जानते है ?आप ने फ़रमाया हाँ फिर ग़ौसे पाक  रह़मतुल्लाही अ़लैहि ने दूसरा मानी बयान फ़रमाया तो मेने दोबारा तुम्हारे वालीद से पूछा की क्या आप इस मानी को जानते है ? तो उन्होंने फ़रमाया हां। फिर आप ने एक और मानी बयान फ़रमाया तो मेने तुम्हारे वालिद से पूछा की आप इस मानी को जानते है। ईसके बाद आप ने 11 मआ़नी बयान किये और में हर बार तुम्हारे वालिद से पूछता था, और वो यही कहते की इन मानो से में वाक़ीफ़ हुं।यहाँ तक की ग़ौसे पाक रह़मतुल्लाही अ़लैहि ने पुरे 40 माना बयान किये जो निहायत उ़म्दा और अ़ज़ीज़ थे।11 के बाद हर मानी के बारे में तुम्हारे वालिद कहते थे, में इन मानो से वाक़ीफ़ नहीं हुं।ह़ज़रत इमाम अह़मद बिन हम्बल का इज़हारे अ़क़ीदत

    ह़ज़रत शैख़ इमाम अबूल ह़सन अ़ली बिन अ़ल हैती रह़मतुल्लाही अ़लैहि फरमाते है की मेने ह़ज़रते शैख़ अ़ब्दुल क़ादिर जिलानी रह़मतुल्लाही अ़लैहि और शैख़ बक़ा बिन बतौ के साथ ह़ज़रते इमाम अह़मद बिन हम्बल रह़मतुल्लाही अ़लैहि के रौज़ए अक़्दस की ज़ियारत की,मेने देखा की ह़ज़रते इमाम अह़मद बिन हम्बल रह़मतुल्लाही अ़लैहि क़ब्र से बहार तशरीफ़ लाए और हुज़ूर ग़ौसे पाक रह़मतुल्लाही अ़लैहि को अपने सीने से लगा लिया और उन्हें खलअत पहना कर इर्शाद फ़रमाया ऐ शैख़ अ़ब्दुल क़ादिर  बेशक में इ़ल्मे शरीअ़त, इल्मे ह़क़ीक़त, इ़ल्मे हा़ल और फेले हा़ल में तुम्हारा मोहताज हुं।

मुश्किल मसअले का आसान जवाब
     बिलादे अ'जम से एक सुवाल आया की "एक शख्स ने तिन तलाक़ो की क़सम इस तौर पर खाई है की वो अल्लाह की ऐसी इ़बादत करेगा की जिस वक़्त वो इ़बादत में मशगूल हो तो लोगो में से कोई शख्स भी वो इ़बादत न कर रहा हो,अगर वो ऐसा न कर सका तो उसकी बीवी को 3 तलाक़ हो जाएगी, तो इस सूरत में कौन सी इ़बादत करनी चाहिए ?"इस सुवाल से उ़ल्माए इराक़ हैरान और शशदर रह गए।और इस मसअले को उन्होंने हुज़ूर ग़ौसे आ'ज़म रह़मतुल्लाही अ़लैहि की खिदमते अक़्दस में पेश किया तो आप ने फौरन इसका जवाब इर्शाद फ़रमाया की "वो शख्स मक्कए मुकर्रमा चला जाए और तवाफ़ की जगह सिर्फ अपने लिये खाली कराए और तन्हा 07 मर्तबा तवाफ़ करके अपनी क़सम को पूरा करे।" इस शाफ़ी जवाब से उ़ल्माए इराक़ को निहायत ही तअ़ज्जुब हुवा क्यूंकी वो इस सुवाल के जवाब से आ़जिज़ हो गए .(ग़ौसे पाक के हा़लात, सफा 29-30-31)

 तालिबे दुआ 
 मुहम्मद अनस रज़ा रज़वी
बड़ा रहुवा बायसी पूर्णिया (बिहार)


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