(शाने गौ़से आज़म रहमतुल्लाह अ़लैहि07)
विलादते बा सआ़दत
हुज़ूर गौसे पाक रह़मतुल्लाही अ़लैहि यकुम रमज़ान बरोज़े जुमुअ़तुल मुबारक सी. 470 ही. को बगदाद शरीफ के क़रीब क़स्बा जिलान में पैदा हुवे।
हैरत अंगेज़ वाकी़आ़त
ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल क़ादिर जिलानी रह़मतुल्लाही अ़लैहि की विलादत बा सआ़दत के वक़्त बहुत से हैरत अंगेज़ वाकी़आ़त ज़ुहुर पज़ीर हुवे सबसे बड़ी बात तो ये है की जब आप रौनक़ अफरोज़ आ़लम हुवे उस वक़्त आप की वालिदए माजिदा ह़ज़रते उम्मुल खैर फ़ातिमा की उ़म्र 60 साल की थी, इस उ़म्र में आ़म तौर पर औ़रतो को अवलाद से ना उम्मीदी हो जाती है, ये अल्लाह का खास फ़ज़्ल था की इस उ़म्र में हुज़ूर गौसे आ'ज़म रह़मतुल्लाही अ़लैहि उनके बतने मुबारक से पैदा हुवे।जिस रात ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल क़ादिर जिलानी रह़मतुल्लाही अ़लैहि की विलादत हुई, उस रात जिलान शरीफ की जिन औ़रतो के यहाँ बच्चा पैदा हुवे उन सब को अल्लाह ने लड़का ही अ़ता़ फ़रमाया और हर नव मौलूद लड़का अल्लाह का वली बना(गौसे पाक का बचपन, सफा 7-8)