ग़ौसे आ'ज़म की वक़्ते विलादत करामत का ज़ुहुर
आप रह़मतुल्लाही अ़लैहि की विलादत माहे रमज़ानुल मुबारक में हुई और पहले दिन ही रोज़ा रखा। सह़री से ले कर इफ्तारी तक आप अपनी वालिदए मोह़तरमा का दूध न पीते थे, चुनान्चे गौसुस्स-क़लैन् शैख़ अ़ब्दुल क़ादिर जिलानी रह़मतुल्लाही अ़लैहि की वालिदए माजिदा फरमाती है की जब मेरा फ़रज़न्दे अर्जुमन्द पैदा हुवा तो रमज़ान शरीफ में दिन भर दूध न पिता था।
आप के बचपन की बरकतें
आप की वालिदए माजिदा फरमाया करती थी : जब मेने अपने साहिब ज़ादे अ़ब्दुल क़ादिर को जना तो वो रमज़ानुल मुबारक में दिन के वक़्त मेरा दूध नहीं पिता था अगले साल रमज़ान का चांद गुबार की वजह से नज़र न आया तो लोग मेरे पास दरयाफ़्त करने के लिये आए तो मेने कहा _"मेरे बच्चे ने दूध नहीं पिया"_ फिर मालुम हुवा की आज रमज़ान का दिन है और हमारे शहर में ये बात मशहूर हो गई की सय्यदो में एक बच्चा पैदा हुवा है जो रमज़ान में दिन के वक़्त दूध नहीं पिता।(ग़ौसे पाक के हा़लात, सफा 24-25)