मुसलमान औरत को सिंदूर लगाना कैसा है
सवाल : हुजूर एक अरिज़ा है कि क्या औरत मांग में सिंदूर लगा सकती है कि नहीं हदीस की रोशनी में जवाब इनायत फरमाएं और शुक्रिया का मौका दें मेहरबानी होगी
साईल महबूब आलम
जवाब : सूरते मुस्तफसरा मैं मुस्लिम औरत को सिंदूर लगाना हराम हराम हराम है जैसा कि हुजूर सदरुश्शरिया हजूर अमजद अली आज़मी अलेहे रहमां तहरीर फरमाते हैं कि कि मुस्लिम औरतों का सिंदूर लगाना मसला में दाखिल और हराम है और उसका जुर्म पानी बहाने से माने होगा जिससे गुस्ल नहीं उतरेगा और अफशां या टिकुली भी वजू व गुस्ल के अदा करने में माने हैं और टिकुली मैं हिंदुओं से मुशाबहत होती है कि मुसलमान औरतें इस्तेमाल नहीं करती उनके इस्तेमाल से एहतेराज़ चाहिए (फतावा ए अमजदिया जिल्द 4 सफा 60)
अल हासिल कलाम यही है कि मुस्लिम औरतों को सिंदूर लगाना हराम है और बिंदी लगाना ममनु है इससे एहतेराज़ लाजिम है
अज़ कलम .
मोहम्मद आमिल रज़ा खान
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)