(हालत ए रोज़ा में गेम खेलना इंदश्शरअ कैसा है)

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 हालत ए रोज़ा में गेम खेलना इंदश्शरअ कैसा है

 सवाल  : क्या फरमाते हैं उलमा ए अहले सुन्नत इस मसला जे़ल के बारे में कि रोज़ा रखकर किसी भी तरह का गेम खेल सकते हैं जैसे पबजी फ्री फायर टेंपलोन गेम ? जवाब मअ हवाला इनायत फरमा कर शुक्रिया का मौक़ा इनायत फरमाएं
 साईल :  मोहम्मद इम्तियाज़ खान (सीतारामपुर बंगाल)

 जवाब  : खेल जिस तरह का हो मुतलक़न नाजायज़ व हराम है और रोजे़ की हालत में अशद हराम है और बेशक उनकी वजह से रोज़ा मकरूह हो जाता है जितनी चीजों से आदमी लहू करता है सब बातिल है मगर  कमान से तीर चलाना और घोड़े को अदब देना और ज़ौजा के साथ मलाअबत यह तीनों हक़ है रोज़ा वगैरह के अलावा और रोज़ा के दिनों हालातों में यह तमाम खेल ममनूअ व नाजायज़ हैलेकिन  फी नफसीही रोज़ा सही व दुरुस्त है इन अफआल की वजह से रोज़ा मकरूह हो जाता है टुटता नहीं - ऐसा ही  (फतावा ए बरेली शरीफ सफा ३६७ रोज़ा का बयान)

والله و رسولہ اعلم باالصواب
 अज़ क़लम 
 मोहम्मद रेहान रज़ा रज़वी



 हिंदी ट्रांसलेट 
 मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)



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