25 हज़ार (₹२५०००) रुपया देकर उसमें नफा लेना कैसा है
सवाल : क्या फरमाते हैं मुफ्तियाने दीन शरअ मतीन मसला जे़ल में ज़ैद ने बकर से ₹२५००० क़र्ज़ लिया इस शर्त के साथ की ₹२५००० के बदले ₹३५००० लेंगे तो जानना यह है कि इस रुपया को लेना जायज़ है या नहीं
साईल : मोहम्मद अबरार हुसैन (मुंबई)
जवाब : इस तरह एक सवाल के जवाब फतावा ए फिक़्ह ए मिल्लत में है दस हज़ार (₹१००००) रुपया के बारे में कि पचीस हज़ार (₹२५०००) का पाइंतीस (₹३५०००) हज़ार लूंगा यह क़र्ज़ दे कर नफा हासिल करना है जो सुद है सुद लेना देना दोनों हराम है (पारा ३ सुरहत अल बक़रा आयत ३७५)
और हदीस शरीफ में है
کل قرض جر منفۃ فھو ربا
यानी क़र्ज़ से जो नफा हासिल हो वह सूद है
(سنن البیہقی جلد پنجم صفحہ 573)
और सुद का गुनाह बहुत सख्त है हदीस शरीफ में है
الربوا سبعون جزاء ایسرھاان ینکح امہ
यानी हुजूर ﷺ ने इरशाद फरमाया की सुद का गुनाह सत्तर (७०) गुनाहों के बराबर है जिनमें सबसे कम दर्जा का गुनाह यह है कि मर्द अपनी मां से ज़िना करे (العیاذباللہ) (मिश्कात शरीफ सफा २४६)
और हदीस शरीफ में है हुजूर ﷺ ने सुद लेने वालों पर लानत फरमाई जो आदमी जानबूझकर खाए उसका गुनाह ३६ बार ज़िना करने से ज़्यादा है
(مسند امام احمد بن حنبل جلد ششم)
(بحوالہ فتاوی فقیہ ملت جلد دوم صفحہ 204)
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम
मोहम्मद इम्तियाज़ क़मर रिज़वी अमजदी
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)