क्या दो जनाज़ा एक साथ पढ़ सकते हैं

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 क्या दो जनाज़ा एक साथ पढ़ सकते हैं

 सवाल  : बाद हू सलाम अर्ज़ है कि क्या फरमाते हैं उलमा ए दीन इस मसला के बारे में कि क्या दो जनाज़ा एक ही बार पढ़ा सकते हैं जवाब देकर शुक्रिया का मौका इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी
 साईल :  मोहम्मद इमामुद्दीन (गुजरात)

 जवाब  : जी हां दो जनाज़ा एक साथ पढ़ सकते हैं  शरीयते मुतहरा ने इस मामले में कोई मोअय्यन तादाद बयान नही की अलबत्ता बेहतर यह है कि हर मय्यत पर अलग से जनाज़ा पढ़ा जाए
 इमामे अहले सुन्नत इमाम अहमद रज़ा खान रहमतुल्लाह अलेह फतावा ए रिज़वीया में सवाल हुआ कि कितने लोगों का जनाज़ा इकठ्ठा हो सकता है तो आप अलैहिर्रहमां ने फरमाया 
 सौ दो सौ जितने जनाज़े जमा हों सब पर एक साथ एक नमाज़ हो सकती है मज़ीद अगले सफे पर बालिग और नाबालिग का जनाज़ा एक साथ पढ़ने के बारे में फरमाया 
 बालिगों के साथ नाबालिगों की नमाज़ भी हो सकती है दोनों दुआएं (यानी बालिग वाली और नाबालीग वाली) पढ़ी जाएं पहले बालिगों की फिर नाबालिगों की और बहर हाल अगर दिक्कत ना हो तो हर जनाज़े पर जुदा नमाज़ बेहतर है (फतावा ए रिज़वीया जिल्द २४ सफा १९९/२०० रज़ा फाउंडेशन लाहौर)
والله و رسولہ اعلم باالصواب
 अज़ क़लम  
 मोहम्मद अशफाक़ अत्तारी



 हिंदी ट्रांसलेट 
 मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)




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