जुम्मा के दिन कौन सा वक़्त है जिस में दुआ कुबूल होती है

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जुम्मा के दिन कौन सा वक़्त है जिस में दुआ कुबूल होती है

  सवाल  : जुम्मा में वह कौनसी घड़ी है जिस में जो दुआ मांगो कूबूल हो जाती है
  साईल :  अब्दुल्लाह मुस्तफाई फैज़ी (कुछ गुज़रात)

  जवाब  :  जुम्मा के दिन एक ऐसा वक़्त है जिसमें मोमिन जो भी अल्लाह तबारक व तआला की बारगाह में जो दुआ करे अल्लाह उसे कुबूल फरमाता है  इस के मुतअल्लिक हुज़ूर सदरूश्शरिया साहब ए बहार ए शरीयत हज़रत अल्लामा मौलाना हकीम मुफ्ती अमजद अली आज़मी कुदुस्सरह अल क़वि फरमाते हैं  बुखारी व मुस्लिम अबू हुरैरा रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू से रावी हैं फरमाते हैं जुम्मा में एक ऐसी साअत है के मुसलमान बंदा अगर उसे पा ले और उस वक़्त अल्लाह तआला से भलाई का सवाल करे तो वो उसे देगा और मुस्लिम की रिवायत में भी है की वह वक़्त बहुत कम है (सहीह मुस्लिम शरीफ किताबुल जुम्मा बाब फिस्साअतुल लती फी यौमे यौमिल जुमअतिल हदीस• पेज 15• सफा 424)

  अब रहा की वह कौन सा वक़्त है इस में रिवायतें बहुत हैं उन में दो क़वि हैं एक यह कि इमाम के खुत्बा के लिए बैठने से खत्मे नमाज़ तक (मिरकातुल मफातिह जिल्द 3 किताबुस सलात बाबुल जुमा तहतुल हदीस 1357 सफा 425)
 
 इस हदीस को मुस्लिम अबू बर्दा बिन अबी मूसा से वह अपने वालिद से वह नबी ए करीम से रिवायत करते हैं और दूसरी यह कि वह जुम्मा कि पिछली साअत है (बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 4 जुमा का बयान सफा 754 मकतबा क़ादरी किताब घर बरैली शरीफ)

  मज़ीद तफसील के लिए मज़कुरा किताब का मुताअला करें
 
والله اعلم بالصواب
 
 अज़ क़लम  
मोहम्मद रज़ा अमजदी





 हिंदी ट्रांसलेट 
 मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)



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