किसी ज़रूरत के तेहत हमल साकित करना कैसा है
सवाल : किया फरमाते हैं उलमा ए किराम मसला जे़ल के बारे में की हिन्दा को 9 माह पहले एक बच्चा ऑपरेशन से पैदा हुआ और बच्चा पैदा होने के 8 महीने बाद हिंदा फिर से हमल शुदा हो गई जब हमल के बारे में जानकारी हुई तो डॉक्टरों को दिखाया गया तो डॉक्टरों ने कहा कि अगर यह हमल बरक़रार रखा तो हिन्दा के जान को खतरा हो सकता है तो क्या ऐसी सूरत में हमल को खत्म किया जा सकता है कुरान व हदीस की रौशनी में जवाब इनायत फरमाएं करम होगा
साईल : मोहम्मद इरफान रज़ा क़ादरी अबुल अलाई (गोंडवी)
जवाब : सुरत ए मज़कुरा में जान पडने से क़ब्ल यानी चार महीने से क़ब्ल क्योंकि चार महीने में जान पड़ जाती है जरूरत के तेहत हमल साकित कराना जायज़ है कर सकता है वरना नहीं जैसा कि फतावा ए फिक़्ह ए मिल्लत में है कि आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मोहद्दीस बरेलवी रज़ि अल्लाहू अंह इसी तरह के एक सवाल के जवाब में तहरीर फरमाते हैं की अगर अभी बच्चा नही बना जायज़ है वरना नाजायज़ की बे गुनाह का क़त्ल है और चार महीने में बच्चा बन जाता है (फतावा ए रिज़वीया जिल्द नहूम सफा १५१)
साईल : मोहम्मद इरफान रज़ा क़ादरी अबुल अलाई (गोंडवी)
जवाब : सुरत ए मज़कुरा में जान पडने से क़ब्ल यानी चार महीने से क़ब्ल क्योंकि चार महीने में जान पड़ जाती है जरूरत के तेहत हमल साकित कराना जायज़ है कर सकता है वरना नहीं जैसा कि फतावा ए फिक़्ह ए मिल्लत में है कि आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मोहद्दीस बरेलवी रज़ि अल्लाहू अंह इसी तरह के एक सवाल के जवाब में तहरीर फरमाते हैं की अगर अभी बच्चा नही बना जायज़ है वरना नाजायज़ की बे गुनाह का क़त्ल है और चार महीने में बच्चा बन जाता है (फतावा ए रिज़वीया जिल्द नहूम सफा १५१)
और तहरीर फरमाते हैं कि जान पर जाने के बाद इसक़ात ए हमल हराम है और ऐसा करने वाला गोया क़ातिल है और जान पडने से पहले कोई जरूरत हो तो हर्ज़ नहीं (ऐज़न सफा २६०)
लिहाज़ा अगर जरूरत हो तो चार महीने से पहले हमल गिराना जायज़ है (फतावा ए फिक़्ह ए मिल्लत जिल्द १ सफा ३३१)
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम
मोहम्मद सादिक़ आलम रिज़वी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)