गैर रोज़ादार रोजे़दारों के साथ इफ्तार खा सकता है या नहीं
सवाल : किया फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में गैर रोज़ादार रोजे़दार के साथ इफ्तार कर सकता है या नहीं जवाब इनायत फरमाएं नवाज़िश होगी
साईल : मोहम्मद अलाउद्दीन (झारखंड)
जवाब : गैर रोज़ादार रोजे़दारों के साथ इफ्तार नहीं कर सकता यह कहते हुए कि हम रोजे़दार हैं ऐसा करना हराम है बाज़ लोग इफ्तारी खाने के चक्कर में अपने आप को रोजे़दार ठहराते हैं यह सख्त हराम है और इसका जिम्मा रोज़ेदारों पर नहीं अगर रोज़ादार ना हो और रोज़ादार लोग यह जानते हैं जो खुद कहता है कि हम रोज़ा नहीं रखते हैं ऐसी सूरत में रोज़ादार हज़रात अगर गैर रोज़ादार शख्स को इफ्तारी में बुलाते हैं तो बुलाने वाला गुनाहगार
अक्सर व बेशतर जगह मस्जिद के सेहन में बेरोज़ादार बच्चे लोग बहुत होते हैं और वह सिर्फ इफ्तारी के लिए आते हैं तो बेहतर है उन बच्चों को वक़्त से पहले या वक़्त के बाद अलग निकाल कर दे दें ताकि उनका खाना इफ्तार में शुमार ना हो हुजूर आला हज़रत अज़िमुल बरकत तहरीर फरमाते हैं और इफ्तारी में गैर रोज़ादार अगर रोजे़दार बनकर शरीक होते हैं मुतवल्लियों पर इल्ज़ाम नहीं यहां उन गैर रोज़ादारों को उसका खाना हराम है हां मुतवल्ली दानिस्ता गैर रोज़ादार को शरीक करें तो वह भी आसी व मुजरिम व खाइन व मस्तहिक़ ए अज़ल हैं इफ्तारी मुतलक़ रोज़ादार के लिए है अगर्चे गनी हो जैसे सक़ाया मस्जिद का पानी हर नमाज़ी के गुस्ल व वज़ू को है अगर्चे बादशाह हो اِنَّمَا یَاۡکُلُوۡنَ فِیۡ بُطُوۡنِہِمْ نَارًا ؕ وَسَیَصْلَوْنَ سَعِیۡرًا،القرآن الکریم.4/ 10
(फतावा ए रिज़वीया जिल्द १६ सफा ४८८ रज़ा फाउंडेशन लाहौर)
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम
साईल : मोहम्मद अलाउद्दीन (झारखंड)
जवाब : गैर रोज़ादार रोजे़दारों के साथ इफ्तार नहीं कर सकता यह कहते हुए कि हम रोजे़दार हैं ऐसा करना हराम है बाज़ लोग इफ्तारी खाने के चक्कर में अपने आप को रोजे़दार ठहराते हैं यह सख्त हराम है और इसका जिम्मा रोज़ेदारों पर नहीं अगर रोज़ादार ना हो और रोज़ादार लोग यह जानते हैं जो खुद कहता है कि हम रोज़ा नहीं रखते हैं ऐसी सूरत में रोज़ादार हज़रात अगर गैर रोज़ादार शख्स को इफ्तारी में बुलाते हैं तो बुलाने वाला गुनाहगार
अक्सर व बेशतर जगह मस्जिद के सेहन में बेरोज़ादार बच्चे लोग बहुत होते हैं और वह सिर्फ इफ्तारी के लिए आते हैं तो बेहतर है उन बच्चों को वक़्त से पहले या वक़्त के बाद अलग निकाल कर दे दें ताकि उनका खाना इफ्तार में शुमार ना हो हुजूर आला हज़रत अज़िमुल बरकत तहरीर फरमाते हैं और इफ्तारी में गैर रोज़ादार अगर रोजे़दार बनकर शरीक होते हैं मुतवल्लियों पर इल्ज़ाम नहीं यहां उन गैर रोज़ादारों को उसका खाना हराम है हां मुतवल्ली दानिस्ता गैर रोज़ादार को शरीक करें तो वह भी आसी व मुजरिम व खाइन व मस्तहिक़ ए अज़ल हैं इफ्तारी मुतलक़ रोज़ादार के लिए है अगर्चे गनी हो जैसे सक़ाया मस्जिद का पानी हर नमाज़ी के गुस्ल व वज़ू को है अगर्चे बादशाह हो اِنَّمَا یَاۡکُلُوۡنَ فِیۡ بُطُوۡنِہِمْ نَارًا ؕ وَسَیَصْلَوْنَ سَعِیۡرًا،القرآن الکریم.4/ 10
(फतावा ए रिज़वीया जिल्द १६ सफा ४८८ रज़ा फाउंडेशन लाहौर)
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम
मोहम्मद इम्तियाज़ क़मर रज़वी अमजदी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)