किसी देवबंदी वहाबी के लिए मग़फिरत की दुआ करना कैसा
सवाल : किसी देवबंदी वहाबी के लिए मग़फिरत की दुआ करना कैसा है ? जवाब कुरान व हदीस की रौशनी में इनायत फरमाएं मुदल्लल और मुफस्सल उलमा ए किराम करम फरमाएं बड़ी मेहरबानी होगी
साईल : सज्जाद आलम
जवाब : सुरते मज़कूरा में काफिर के मग़फिरत की दुआ करना जायज़ नहीं हुजूर सदरूश्शरिया अलैहिर्रहमां (फतावा ए आलम गिरी) के हवाला से तहरीर फरमाते हैं काफिर के लिए मग़फिरत की दुआ हरगिज़ हरगिज़ ना करें (बहारे शरीयत हिस्सा १६ सफा २५७)
लिहाज़ा वहाबीयों के लिए मग़फिरत की दुआ करना हराम है और मुसलमान समझकर दुआ करना कुफ्र है और उन्हें एसाले सवाब करना भी कुफ्र है
सैयदना आला हज़रत अलैहिर्रहमा तहरीर फरमाते हैं क़ब्र ए काफिर की ज़ियारत हराम और उसे एसाले सवाब का क़स्द कुफ्र (फतावा ए रिज़वीया जिल्द चहारूम सफा २०८)
लिहाज़ा ऐसा शख्स सख्त गुनाहगार मुब्तला ए क़हर क़ह्हार और मुस्तहिक़े अज़ाब ए नार है नेज़ कोई शख्स ऐसा करता है तो उस पर लाज़िम है की तौबा तजदीदे ईमान करें अगर शादी शुदा हो तो तजदीदे निकाह भी करें ( फतावा ए फिक़्ह ए मिल्लत जिल्द १ सफा १८)
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ कलम
मोहम्मद आमिल रज़ा खान अल मारूफ ज़िया अंजुम कादरी रज़वी
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)