कीर्तन भजन और रामलीला खेलना कैसा है
सवाल : कुछ मुसलमान कीर्तन भजन करते हैं और रामलीला खेलते हैं उन्हें मना किया जाए तो कहते हैं यह तो हुनर है इल्म व हुनर से कमाने को कौन हराम कह सकते हैं ऐसों के लिए शरअ का क्या हुक्म है हराम हुनर या इल्म के बारे में जो अहकाम ए शरअ में वारीद बहवाला तहरीर फरमाएं ऐन व करम होगा
साईल : मोहम्मद आतिफ रज़ा
जवाब : कीर्तन भजन करने वाला व रामलीला वगैरह में शामिल होकर के खेलना गाना बजाना कुफ्र है मज़कूर शख्स बिला शुब्ह कुफ्र कर रहा है जो हिंदुओं के झूठे रसम रिवाज के खुदाओं के तारीफ भजन करता है
अल्लाह तबारक व तआला इरशाद फरमाता है
یایہا الذین امنو ادخلوا فی السلم کافتۃ و لا تتبعوا خطو ت الشیطن انہ لکم عدومبین۔
(अल कुरआन अल करीम पारा २ = २०८)
हुजूर ﷺ इरशाद फरमाते हैं ( من شبہ بقوم فھو منہ) जो किसी कौम से मुशाबहत पैदा करे वह उन्हीं में से हैं
लिहाज़ा मज़कूर शख्स इन बातों की वजह यानी कुफ्र करने की वजह से इस्लाम से निकल गया अगर्चे यह सब काम उसने ऊपर के दिल से किया हो उसे कलमा पढ़ा कर एलानिया तौबा व अस्तगफार कराया जाए और अगर वह बीवी वाला हो तो तजदीद ए निकाह भी करे(फतावा ए फिक़्ह मिल्लत जिल्द १ बाबूल अक़ाईद)
फुक़्हा ए किराम तहरीर फरमाते हैं
من استحسن فعلا من افعال الکفار کفر باتفاق المشائخ
जिस शख्स ने काफिरो के अफआल में से किसी फेल को अच्छा समझा तो माशाईख ए किराम का इस पर इत्तेफाक़ है कि वह बिला शक व शुब्ह काफिर हो गया है
غمزالعیون البصائر شرح الاشباہ والنظائر الفن الثانی کتاب السیر والردۃ ادارۃ القرآن کراچی جلد اول صفحہ 298
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम
मोहम्मद इम्तियाज़ क़मर रिज़वी अमजदी