ईद की अधूरी जमाअत मिली तो.

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(ईद की अधूरी जमाअत मिली तो)


 सवाल  : क्या फरमाते हैं उलमा ए दीन व मुफ्तियाने किराम की नमाज़ ए ईदुल फित्र ईदुल अज़हा किस तरह पढ़ना चाहिए तक़बीरें कब और किस तरह कहे और अगर नमाज़ ईदुल फित्र व ईदुल अज़हा में अगर कोई शख्स उस वक़्त पहुंचे कि इमाम साहब ने कुछ तक़बीर कह चुके हों तो क्या करे और अपनी नमाज़ कैसे मुकम्मल करें मुकम्मल वज़ाहत के साथ जवाब इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी

 साईल :  ताहिर कादरी

 जवाब  : पहले इस तरह नियत कीजिए (नियत की मैंने दो रकात नमाज़ -ईदुल फित्र या ईदुल अज़हा- की छा ज़ाईद तकबीरों के वास्ते अल्लाह तआला के पीछे इस इमाम के मुंह मेरा तरफ काबा शरीफ के फिर कानों तक हाथ उठाए और अल्लाहू अकबर कह कर हसबे माअमूल नाफ के नीचे बांध लीजिए) और सना पढ़िए (१) फिर कानों तक हाथ उठाएं और अल्लाहू अकबर कहते हुए लटका दीजिए (२) फिर कानों तक हाथ उठाएं और अल्लाहू अकबर कह कर लटका दीजिए (३) फिर कानों तक हाथ उठाएं और अल्लाहू अकबर कह कर हाथ बांध लीजिए यानी पहली तकबीर के बाद हाथ बांधीए इसके बाद दूसरी और तीसरी तकबीर में लटकाईए और चौथी में हाथ बांध लीजिए इसको यूं याद रखिए कि जहां क़याम में तकबीर के बाद कुछ पढ़ना है वहां हाथ बांधने हैं और जहां नहीं पढ़ना है वहां हाथ नहीं बांधना है बल्कि लटका देना है फिर इमाम तउज़ व तस्मिया पढ़कर अल्हम्दु शरीफ और सूरत जहर से (यानी बुलंद आवाज़) के साथ पढ़े फिर रुकू करें दूसरी रकात में भी पहले अल्हम्दु शरीफ और सूरत जहर के साथ पढ़े फिर कानों तक हाथ उठाकर अल्लाहु अकबर कहे और हाथ ना बांधीए और चौथी बार बगैर हाथ उठाए अल्लाहू अकबर कहते हुए रुकू मैं जाएं और क़ायदे के मुताबिक नमाज़ मुकम्मल कर लीजिए हर दो तकबीरों के दरमियान तीन बार सुब्हानल्लाह कहने की मिक़दार चुप खड़ा रहना है (बहारे शरीयत जिल्द ४ /७८१)


 पहली रकात में इमाम के तकबीरें कहने के बाद मुक़्तदी भी शामिल हो तो उसी वक़्त (तकबीर ए तहरीमा के अलावा मज़ीद) तीन तकबीरें कह लें अगर्चे इमाम ने क़िरात शुरू कर दी हो और तीन ही कहे अगर्चे इमाम ने ३ से ज़्यादा कही हो और अगर उसने तकबीरें ना कहीं की इमाम रूकू में चला गया तो खड़े-खड़े ना कहे बल्कि इमाम के साथ रूकू में जाए और रूकू में तकबीरें कहलें और अगर इमाम को रुकू में पाया और गालिब गुमान है तकबीरें कहकर इमाम को रूकू में पा लेगा तो खड़े-खड़े तकबीरें कहे फिर रूकू में जाए वरना अल्लाहू अकबर कह कर रूकू में जाए और रूकू में तकबीरें कहे फिर अगर उसने रूकू में तकबीरें पूरी ना की थी कि इमाम ने सर उठा लिया तो बाक़ी साक़ित हो गई (यानी बक़िया तकबीरें अब ना कहे)  और अगर इमाम के रूकू से उठने के बाद शामिल हुआ तो अब तकबीरें ना कहे बल्कि (इमाम के सलाम फेरने के बाद) जब अपनी (बक़िया) पहले उस वक़्त कहे और रूकू में जहां तकबीर कहना बताया गया उसमें हाथ ना उठाए और अगर दूसरी रकात में भी शामिल हुआ तो पहली रकात की तकबीरें अब ना कहे बल्कि अपनी फुत शुदा पढ़ने खड़ा हो उस वक़्त कहे दूसरी रकात की तकबीरें अगर इमाम के साथ पा जाए फबिहा (यानी तो बेहतर) वरना उसमें भी वही तफसील है जो पहली रकात के बारे में मज़कूर हुई(बहारे शरीयत जिल्द ४ /१८२)

والله و رسولہ اعلم بالصواب

 अज़ क़लम

 मोहम्मद अनवर रज़ा 




 हिंदी ट्रांसलेट 
 मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)



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