क्या उस्ताद की मार से जहन्नम की आग हराम हो जाती है

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 क्या उस्ताद की मार से जहन्नम की आग हराम हो जाती है


 सवाल  क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में की तालीमी दौर में जो तालिब ए इल्म को असातज़ा मारते हैं उस पर क्या हुक्म है ? हमने बचपन में सुना था कि जिस जगह पर उस्ताद की मार लगती उसको जहन्नम की आग नहीं जला सकती क्या यह बात सही है ? जवाब देकर शुक्रिया का मौक़ा इनायत फरमाएं

 साईलसरफराज अहमद बैंगलोर


 जवाब  उस्ताद की मार जहां लगती है उस जगह को जहन्नम नहीं जलाएगी यह मन गढ़त और झूठ है इसकी कोई हक़ीक़त नहीं गालीबन बच्चों को तसल्ली देने या सब्र करने की गर्ज़ से वालिदैन बच्चों से ऐसा कहते हैं फक़ीर ने बचपन से यही सुना है मगर शरीयत में इसकी कुछ अस्ल नहीं हां बवक़्त ज़रूरत असातज़ा बच्चों को मार सकते हैं मगर हाथ से ना कि डंडे वगैरा से और एक साथ में तीन ज़र्ब से ज़ाएद भी नहीं मारना चाहिए क्योंकि नबी करीम ﷺ ने मना फ़रमाया है,

 सरकार ए आला हज़रत रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू तहरीर फरमाते हैं कि 
 ज़रूरत पेश आने पर बक़द्र हाजत तम्बीहइस्लाह और नसीहत के लिए बिला तफरीक़ उजरत व अदम ए उजरत उस्ताद का बदनी सज़ा देना और सरज़निश से काम लेना जायज़ है मगर यह सज़ा लकड़ी डंडे वगैरह से नहीं बल्कि हाथ से होनी चाहिए और एक वक़्त में तीन मर्तबा से ज़ाएद पिटाई ना होने पाएचुनाचा फतावा शामी में है की किसी आज़ाद बच्चे को उसके वालिद के हुक्म से मारना जायज़ नहीं लेकिन उस्ताद तालीमी मसलिहत के तेहत पिटाई कर सकता है  इमाम तरसुसी ने यह क़ैद लगाई है कि मार पिट ज़ख्मी कर देने वाली ना हो और तीन ज़र्बों से ज़ाएद भी ना हो

 درجامع الصغار استروشنی است ذکر والدی رحمۃ اﷲ تعالٰی من صلٰوۃ الملتقط اذا بلغ الصبی عشر سنین یضرب لاجل الصلٰوۃ بالید لابالخشب ولایجاوز الثلث وکذا المعلم لیس لہ ان یجاوز الثلث قال صلی اﷲ تعالٰی علیہ وسلم لمرداس المعلم ایاک ان تضرب فوق الثلث فانک اذا ضربت فوق الثلث اقتص اﷲ منک

 जाम ए सिगार अस्तरूशनी (جامع صغار استروشنی) में है मेरे वालिद रहमतुल्लाह तआला अलैह ने बहस सलात मुल्तक़त (بحث صلٰوۃ ملتقط) में ज़िक्र फरमाया कि जब बच्चे की उम्र दस साल हो जाए तो नमाज़ी बनाने के लिए उसे हाथ से सज़ा दी जाए लाठी से नहीं और तीन मर्तबा से तजावूज़ भी ना किया जाएयूं ही उस्ताद के लिए रवा नहीं की तीन मर्तबा से तजावूज़ करे हुजूर अकरम ﷺ ने बच्चों को मारने के बारे में फरमायातीन मर्तबा से ज़ाएद ज़र्बें लगाने से परहेज़ करोक्योंकि अगर तुम ने तीन मर्तबा से ज़्यादा सज़ा दी तोअल्लाह तआला क़यामत के दिन तुम से बदला लेगा,

 (احکام الصغار مسائل الصلٰوۃ دارالکتب العلمیہ بیروت ؍ص۱۶)
 (فتاوی رضویہ جلد ۲۳ ؍ص  ۶۵۳؍۶۵۴؍دعوت اسلا می)

अल्लामा सदरूश्शरिया अलैहिर्रहमा तहरीर फरमाते हैं कि किसी गुनाह पर बगर्ज़ तादीब जो सज़ा दी जाती है उसको तअज़ीर कहते हैंशारेअ ने उसके लिए कोई मिक़दार मुअय्यन नहीं की हैबल्कि उसको क़ाज़ी की राय पर छोड़ा है जैसा मौक़ा हो उसके मुताबिक़ अमल करेतअज़ीर का अख्तियार सिर्फ बादशाह ए इस्लाम ही को नहीं बल्कि शौहर बीवी कोआक़ा गुलाम कोमां बाप अपनी औलाद कोउस्ताज़ शागिर्द कोतअज़ीर कर सकता है (मार सकता है)

 (ردالمحتارکتاب الحدود، باب التعزیر، ج ۶،ص ۹۵، وغیرہ)
 (بحوالہ بہار شریعت ح ۹ سزاؤں کا بیان)

 खुलासा कलाम यह है कि उस्ताद शागिर्द को तालीम या डराने की गर्ज़ से तीन थप्पड़ मार सकता है वह भी हाथ से ना की लाठी डंडा सेयूं ही मुंह पर भी नहीं मारना चाहिए क्योंकि नबी करीम ﷺ ने मुंह पर मारने से मना फरमाया है
 जैसा की हदीस शरीफ में है 
 وعن جابر قال : نهى رسول الله صلى الله عليه و سلم عن الضرب في الوجه وعن الوسم في الوجه . رواه مسلم
 और हज़रत जाबिर कहते हैं कि रसूल ए करीम ﷺ ने मुंह पर मारने और मुंह पर दाग़ देने से मना फरमाया है यानी किसी आदमी या जानवर के मुंह पर तमाचा या कोड़ा वगैरा ना मारा जाए और ना किसी के मुंह पर दाग़ दिया जाए,

 (مشکوٰۃ المصابیح باب منہ پر مارنے یا منہ کو داغنے کی ممانعت حدیث نمبر۳۹۸۰)

 यूं ही बगैर कुसूर के मारना या तीन ज़र्ब से ज़ाएद मारना शरअन जायज़ नहीं है उस्ताद को चाहिए कि बालिग़ शागिर्द से माफी मांगे और अगर नाबालिग़ शागिर्द हो तो उसके वालिदैन से या फिर बालिग़ होने के बाद माफी मांगे वरना यौम ए आखिरत उस्ताद की पकड़ होगी


 लिहाज़ा असातज़ा को चाहिए कि शागिर्द के साथ हुस्ने सुलूक से पेश आएं नरमी से समझाएं जैसे डॉक्टर मरीज़ का इलाज करता है अगर्चे मरीज़ डॉक्टर को गाली दे बुरा भला कहे अगर डॉक्टर मारना पीटना शुरू कर दे तो फिर इलाज कैसे करेगायूं हीं उस्ताद को भी चाहिए के मिस्ल डॉक्टर गुस्सा को क़ाबू करके नरमी से समझाएं

والله و رسولہ اعلم باالصواب




 अज़ क़लम
  फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी

 हिंदी ट्रांसलेट 
 मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)






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