क्या टिशू पेपर से इस्तिंजा करना जायज़ है

0

  क्या टिशू पेपर से इस्तिंजा करना जायज़ है


 सवाल  क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में की कागज़ से इस्तिंजा करना जायज़ है या नही ? जैसे शहरों में पाखाना पेशाब करने के बाद टिशू पेपर से पोछने का रिवाज है नीज़ जिस ने कागज़ से इस्तिंजा किया वह बगैर पानी से धोए नमाज़ पढ़ सकता है की नहीं ? बाहवाला जवाब इनायत फरमा कर इंदल्लाह माजूर हों

 साईलमोहम्मद अबरारुल क़ादरी मुक़ीम हाल बैंगलोर (कर्नाटक)

 जवाब  कागज़ से इस्तिंजा करना मना है अगर्चे सादा हो क्योंकि कागज़ की ताज़ीम आदाब ए दीन से है,

 (फतावा रज़विया जिल्द ४ सफा ६०१दावते इस्लामी)

 लिहाज़ा उसकी ताज़ीम करनी चाहिए इसलिए उलमा ए किराम ने कागज़ से इस्तिंजा करने को मकरूह बताया है,
 जैसा सरकारे आला हज़रत रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू तहरीर फरमाते हैं कि 
 कागज़ से इस्तिंजा करना मकरूह व ममनूअ है सुन्नते नसारा है कागज़ की ताज़ीम का हुक्म हैअगर्चे सादा हो और लिखा हुआ हो तो बदरज ए  ऊला,

 (फतावा अफरीक़ा सफा १६,१७,)

 टिशू पेपर अगर्चे ब ज़ाहिर कागज़ है लेकिन हक़ीक़त में यह कागज़ के हुकुम में नहीं है,
 क्योंकि कागज़ जिसमें किताबत की जाती है वह चिकना और फ्रेश यानी एकदम सीधा होता है और उसमें पानी जज़्ब करने का मादा नही होता है बल्कि पानी लगते ही दूर तक फैल जाता हैऔर टिशू पेपर चिकना नहीं बल्कि खुरदरा होता हैऔर उसमें पानी जज़्ब करने का मादा मुकम्मल तौर से होता है फिर यह खुरदरा (दरदरा) होने की वजह से खत व किताबत के क़ाबिल नहीं होता और खास बात यह है कि खास बैतूल खला (टॉयलेट) के लिए बनाया गया हैफिर बाहर ममालिक व हिंदुस्तान के कुछ शहरों के बैतूल खला में पानी की जगह यही इस्तेमाल होता है पानी रहता ही नहींअगर इससे इस्तिंजा करना नाजायज़ क़रार दे दिया जाए तो फिर उम्मते मुस्लिमा के लिए बहुत बड़ी दुशवारी होगी,
 क्योंकि पानी बिल्कुल रहता ही नहीं है और हर कोई जानता है कि १ लीटर बिसलरी कम से कम ₹२० का मिलता है जो सबके लिए आसान नहीं हैऔर अगर इस्तीताअत हो भी तो पानी के मुक़ाबले में टिशू पेपर काफी सस्ता हैलिहाज़ा टिशू पेपर का इस्तेमाल जायज़ है,
 जैसा की रद्दुल मुहतार में है 
 واذا کانت العلۃ کونہا الۃ للکتابۃ یوخذ منھاعدم الکراھۃ فیما لایصلح لھا اذاکان قالعا للنجاسۃ غیر متقوم کماقدمنامن جوازہ بالخرق البوالی
 यानी जब इल्लत उसका आला किताबत होना है तो उसका नतीजा यह है कि अगर कागज़ में तहरीर की सलाहियत ना हो और नजासत ज़ाएल करने वाला हो और क़ीमती भी ना हो तो उसके इस्तेमाल में कोई कराहत नहीं, (रद्दुल मुहतार जिल्द १ सफा ५५२)

 हां जहां पानी का इंतज़ाम हो वहां बेहतर व अफज़ल यही है कि पानी इस्तेमाल किया जाएअगर मिट्टी के ढेले या पुराने कपड़े या टिशू पेपर से मुकम्मल तहारत (पाकी) हासिल हो जाती है तो बगैर पानी से धोए नमाज़ हो जाएगी लेकिन अगर पानी मौजूद है तो धो लेना सुन्नत है,

 (आम कुतूब फिक़्ह)

والله و رسولہ اعلم بالصواب



 अज़ क़लम

  फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी

हिंदी ट्रांसलेट

मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
एक टिप्पणी भेजें (0)
AD Banner
AD Banner AD Banner
To Top