शब ए बरात में बैर के पत्तों से गुस्ल करना कैसा है
सवाल क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में की शब ए बरात को कुछ लोग बैर के पत्तों को पानी में डाल कर नहाते हैं कि पूरे साल सहर से महफूज रहेंगे क्या यह सही है ? मुफस्सल व मुदल्लल जवाब इनायत फरमाएं
साईलमोहम्मद मेहताब
जवाब जी हां यह बात दुरुस्त है जैसा कि हकीमुल उम्मत मोहम्मद अहमद यार खान नईमी अलैहिर्रहमां तहरीर फरमाते हैं कि
शब ए बरात में बैर के सात (७) पत्ते पानी में जोश दे कर (गर्म करके) इससे गुस्ल करने वाला इन शाअल्लाह अल अज़ीज़ सारा साल जादू के असर से महफूज़ रहेगा, (इस्लामी जिंदगी सफा६८)
लेकिन याद रहे कि अव्वल तो अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की ज़ात पर तवक्कल होना चाहिए ना कि सिर्फ नहा लेना काफी होगा,
बयान किया जाता है कि सरकारे आला हज़रत जब हज के लिए पानी वाले जहाज़ से जा रहे थे उस वक़्त तूफान आ गया और कप्तान कहने लगा कि अब जहाज़ पानी में डूब जाएगा लेकिन सरकारे आला हज़रत बार-बार यही कहते कुछ नहीं होगाजब तूफान खत्म हो गया तो लोगों ने पूछा कि आप ऐसा क्यों कह रहे थे ? आपने फरमाया की हुजूर अलैहिस्सलाम का फरमान है कि जो शख्स सवार होने से पहले इस दुआ को पढ़ लेगा तमाम बला वह मुसीबत से अमान में रहेगाऔर मैंने पढ़ लिया था तो कैसे यह मानता कि तूफान आएगा,
दूसरी बात यह है कि सिर्फ इसी पर तवक्कल करके नहीं रहना चाहिए बल्कि तमाम मज़र चीजों से बचना भी चाहिए जैसे डॉक्टर कहे कि इस दवा से शिफा पाओगे तो इसका मतलब यह नहीं है कि अब दवा खा लिया तो कुछ भी खाते रहो बल्कि हर उस चीज़ से बचना होगा जो नुक़सान दह ना होयूं ही बैरी के पत्ते से नहा लेना काफी ना समझे बल्कि हर उस चीज़ से बचें जिसको शरीअत ने मना किया है या जिस से आसेबी या परेशानी घर में आती हो जैसे गुस्ल खाना में पेशाब करनासुराख में पेशाब करनारात में तन्हा कब्रिस्तान जाना वगैरा
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)