क्या शब ए बरात में सब की मगफिरत हो जाती है
सवाल क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में की शब ए बरात में तमाम उम्मत ए मुस्लिमा की मगफिरत हो जाती है ? क्या यह दुरुस्त है मुफस्सल व मुदल्लल जवाब इनायत फरमाएं
साईलमोहम्मद असलम रज़ा
जवाब अल्लाह तआला जल्ला शानहू जो गफूरूर्रहीम है करीम हैउसकी रहमत का क्या पूछनावह हर रोज़ अपने बंदों की मगफिरत फरमाता है मगर शाबानुल मुअज़्ज़म की पंद्रहवीं (१५) तारीख को क़बील ए बनी कल्ब (अरब में एक क़बीला था उसका नाम बनी कल्ब था उस कबीले में बकरियां ब कसरत पाली जाती थीं इसलिए हुजूर ﷺ ने उस कबीले का जिक्र फरमाया कि उन) की बकरियों के बाल से भी ज़्यादा उम्मत मुस्लिमां की मगफिरत फरमाता है (जहन्नम से आज़ाद फरमाता है)
जैसा कि हज़रत सैयदतना आईशा सिददीक़ा रज़ि अल्लाहू तआला अन्हा से रिवायत है कि नबी ﷺ करीम ने फरमाया कि मेरे पास जिब्रील अलैहिस्सलाम आए और कहा कि शाबान की पंद्रहवी रात है इस में अल्लाह तआला जहन्नम से इतनों को आज़ाद फरमाता है जितने बनी कल्ब की बकरियों के बाल हैं,
मगर काफिरऔर अदावत वालेऔर रिश्ता काटने वालेऔर कपड़ा लटकाने वालेऔर वालिदैन की नाफरमानी करने वालेऔर शराबी की तरफ नज़रे रहमत नहीं फरमाता
(شعب الایمان حدیث نمبر ۳۸۳۷)
इस हदीस से मालूम हुआ कि अल्लाह तआला बेशुमार की मगफिरत फरमाता है मगर चंद अफराद की मगफिरत नहीं होती जैसा कि इसी हदीस से साबित है मसलन
(०१) > काफिर इस में तमाम फिर्क़हा ए बातिला शामिल हैं
(०२) > उन हज़रात की जो आपस में अदावत (दुशमनी) रखे हुए हैं
(०३) > रिश्ता काटने वाले
(०४) > कपड़ा लटकाने वाले यानी मुतकब्बीर
(०५) > वालिदैन की नाफरमानी करने वाले
(०६) > शराबी यानी जो उसका आदी हो चुका हो
और एक दूसरी हदीस में
(०७) > इशार यानी ज़ुल्मन टैक्स लेने वाले
(०८) > जादूगर
(०९) > काहिन
(१०) > बाजा बजाने वाले
और रिवायत में
(११) > मुसौवीर यानी तसवीर बनाने वाले
(१२) > चुगल खोर यानी गिबात करने वाले का भी ज़िक्र है
यह वो लोग हैं जो शब ए बरात में मगफिरत से महरूम रहेंगे,
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)