क्या क़ौवाली सुनने वाला अज़ान दे सकता है
सवाल क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में की ज़ैद मंदरजा ज़ेल खुराफात का मुरतकिब हैमुरौवजा मज़ामीर क़ौवाली गाता है सुनता है और क़ौवाली का एहतिमाम भी करता हैकानों में बालियां पहनता हैउंगलियों में अंगूठियां भी पहनता हैअब दरयाफ्त तलब अमर यह है कि क्या ज़ैद अज़ान दे सकता है ? और महफिल ए मिलाद में ज़ैद को बुलाना कैसा है ? जबकि ज़ैद मज़कूरा बाला अमल से तौबा भी कर चुका था लेकिन फिर वही अमले क़बीह करता है बराय करम मुदल्लल व मुफस्सल जवाब इनायत फरमाएं
साईलअब्दुल्लाह क़ादरी
जवाब मज़कूरा तमाम अफआल नाजायज़ व हराम हैं और करने वाला गुनाहे कबीरा का मुरतकिब है मुरौवजा क़ौवाली मअ मज़ामीर के बारे में आला हज़रत रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू तहरीर फरमाते हैं कि
मज़ामीर जायज़ नहीं हुजूर सैयदिना सुल्तानुल मशाइख निजाम अल हक़ वद्दीन सरदारे सिलसिला आलिया चिश्तीया निज़ामिया फवाएद अल फवाएदे शरीफ में इरशाद फरमाते हैं मज़ामीर हराम अस्त यानी मज़ामीर हराम है, (फतावा रज़विया जिल्द २१दावते इस्लामी)
नाक कान हाथों पैरों में किसी क़िस्म का ज़ेवर जायज़ नहीं है अगर्चे प्लास्टिक का हो कि यह औरतों से मुशाबिहत है, हुजूर ﷺ ने फरमाया (من تشبہ بقوم فھو منھم) मर्द के लिए सिर्फ चांदी की एक अंगूठी एक नग वाली वह भी ४:३० माशा (चार (४) ग्राम छै सौ पैंसठ (६६५) मिलीग्राम छै सौ (६००) मेक्रो मिलीग्राम से) कम हो जायज़ है इसके अलावा किसी भी धात की अंगूठी या ज़ेवर जायज़ नहीं (आम कुतुबे फिक़्ह)
अफसोस है आज कल कुछ ऐसे पीर हैं जो हराम को भी हलाल ठहराते हैं सच फरमाया था नबी करीम ﷺ ने
لیکــونــن من امـــتی اقــوام یستحلــــون الحرو الحـــریر والخمـــر والمعــــازف
मेरी उम्मत में ऐसे लोग ज़रूर होंगे जो ज़िनारेशमी कपड़ेशराब और ढोल बाजों को हलाल कर डालेंगे, (सहीह बुखारी जिल्द सानी सफा ७३८ / मतबुआ मजलिस ए बरकात)
सुरते मसउला में ज़ैद फासिक़े मुअल्लिन है उस से अज़ान पढ़वाना या नात वगैरा सुनना नाजायज़ है कि फासिक़ की ताज़ीम नाजायज़ हैऔर मेंबर पर बैठाकर नात पढ़वाने पर उसकी ताज़ीम हैतौबा कर के फिर गुनाह करना बहुत बुरा है जब तक वह उमूरे क़बीहा व शनीअह से सच्चे दिल से तौबा ना कर ले और क़बीहा अफआल से बाज़ ना आजाए उसका बाई काट कर दिया जाए, जैसा कि इरशाद ए रब्बानी है (وَ اِمَّا یُنْسِیَنَّکَ الشَّیْطٰنُ فَلَا تَقْعُدْ بَعْدَ الذِّکْرٰی مَعَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِیْنَ) और जो कहीं तुझे शैतान भुला दे तो याद आए पर ज़ालिमों के पास ना बैठ, (सुरह इनआम आयत ६८)
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)