( पैशावर औरतें (तवाईफें)
अक्सर नौजवान अपनी जवानी पर क़ाबू नहीं रख पाते हैं। अगर उनकी जल्द से जल्द शादी न हो तो वह अपनी हवस को मिटाने के लिए बाज़ारी औरतों का सहारा लेते हैं। कुछ तो शादी के बाद भी अपनी बीवी के होते हुए पैशावर औरतों के पास जाना नहीं छोड़ते।
ये बाज़ारी औरतें वह हैं जिन्होंने शर्म व हया के नक़ाब को उठाया और बेग़ैरती व बेशर्मी के लिबास को पहना हैं यक़ीनन वह इंसानी सोसाइटी (Society) के लिए वह ख़तरनाक़ कीड़े है जो पलेग (Plague) और हैज़ के कीड़ों से ज़्यादा इंसानियत के लिए भयानक हैं।
अगर आप एक पलेट में तरह तरह के खाने, खट्टे मीठे, कड़वे, तेज़, तीखे सब मिला कर रख दें तो वह कुछ दिनों के बाद सड़ेंगे, बदबू पैदा होगी, कीड़े पड़ जाएंगे।
बस ये बाज़ारी औरतें भी उसी पलेट की तरह है ये वही ख़ूबसूरत दस्तर्स से ढकी पलेट हैं जिसमें अलग अलग मज़ाज वाले इंसानों के हाथ पड़ चुके हैं और मुख़्तलिफ़ किस्म का मर्दों ने एक जगह मिल कर उसे इस क़दर सड़ा दिया और ऐसे बारीक़ कीड़ों को पैदा कर दिया है जो देखने मे नहीं आते। तुम ज़रा उसके पास गए और उन्होंने तुम्हें डंक मारा।
देखो! उनके पौडर, लिपिस्टिक पर न बहलना, बालों की बनावट और कपड़ों की सजावट पर न रिझना। ये ऐसा नाग है जिसका काटा साँस भी नहीं लेता।
एक वक़्त की ज़रा सी लज़्ज़त पर अपनी उम्र की दौलत, आराम व राहत और सेहत व तंदरुस्ती को न खो बैठना।