(किसी परेशान हाल की मदद करना बहुत बड़ा सवाब है)
हज़रत ख्वाजा हसन बसरी फरमाते हैं कि एक फक़ीर किसी मोहल्ले में लोगों से एक रोटी का सवाल कर रहा था मगर लोगों ने उसकी एक भी न सुनी मतलब कि उसे एक रोटी ना दी और वो भूख से तड़प तड़प कर मर गया,जब लोगों को उसके मरने की खबर हुई तो सब लोगों ने चंदा करके उसके कफ़न दफ़न का इंतज़ाम कर दिया,जब उस फक़ीर को दफन करके आये तो क्या देखा कि उसका कफ़न उसी मोहल्ले में पड़ा हुआ है और उस पर साफ़ लफ़्ज़ों में लिखा था " तुम लोगों का दिया हुआ कफ़न तुम्हारे पास लौटाया जा रहा है क्योंकि तुम लोग बद तरीन क़ौम में से हो तुमसे मेरे दोस्त ने रोटी का एक टुकड़ा मांगा मगर तुम लोगों ने नहीं दिया यहां तक की उसने दम तोड़ दिया हम अपने दोस्तों को ग़ैर के सुपुर्द नहीं किया करते "( रूहानी हिकायात,हिस्सा 2,सफह 152)
लिहाज़ा अगर कोई ज़रुरतमंद परेशान शख़्स आपके दरवाज़े पर आजाऐ तो अगर हो सके तो कुछ न कुछ दे देना चाहिए उसे झिड़कना हरगिज़ अच्छा नहीं और अगर नहीं है तो नरमी के साथ मना कर दें अगर कुछ दिया तो भी सदक़ा और अगर देने के क़ाबिल नहीं हैं और हुस्ने अखलाक़ से पेश आऐ तो हुस्ने अखलाक़ से पेश आना भी सदक़ा ही है ऐसा सदका जिसे आम मुसलमान नुकसान समझते हैं
दरख्तों के फल और खेतों के दाने आम तौर पर चरिन्दे और परिन्दे बल्कि बाज़ इन्सान भी खा लिया करते हैं। जाहिर है कि उस दरख्त से और खेतों के मालिक को नुकसान होता है जिससे उसको तकलीफ होती है। मगर हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के इस इरशादे गिरामी से यह हिदायत की रौशनी मिलती है कि दरख्त और खेत के मालिक को उससे नाराज़ नहीं होना चाहिये। और यह नहीं समझना चाहिये कि मेरे फल और खेत के दाने रायेगा और बरबाद हो गये। बल्कि उसको यह ईमान रखना चाहिये कि जितने फल परिन्दों और चरिन्दों ने खा लिए और जितने दाने चुग लिए या इन्सानों ने उसकी इजाजत के बगैर खा लिए अगरचे इन वे इजाज़त खाने वालों ने चोरी का गुनाह अपने सर लिया मगर दरख्त और खेत के मालिक को सदका करने का सवाब मिलेगा। लिहाजा उसको चाहिये कि अजरो सवाब मिलने की उम्मीद रखे और रंज व मलाल न रखे । बल्कि सब्र के साथ खुदा का शुक्र अदा करे कि बगैर मेरे सदका देने के यह फल और दाने मेरी तरफ से सदका बन गये। और खुदा से उम्मीद रखे कि मेरे फलों ओर दानों में यकीनन बरकत होगी। क्योंकि जिस माल में से सदका दे दिया जाता है जरुर उस माल में बरकत हो जाया करती है।