नाख़ुन लगी होने पर वुजू और ग़ुस्ल नहीं होता
अक्सर औरतें अपने हाथ पाँव के नाख़ूनों पर कुछ मर्द भी अपने हाथों के नाख़ूनों पर पालिश लगाते हैं। नाख़ुन पालिश में स्प्रीट (शराब Alcohal) होता है जो कि शरीअत में हराम हैं। मर्दों के लिए तो बहुत ही ज़्यादा शख़्स हराम व गुनाह है कि ये औरतों से मुशाबिहत पैदा करता है। नाखुनों पर पालिश होने की वजह से ग़ुस्ल और वजू करते वक़्त पानी नाखुनों पर नहीं बहता। बल्कि पालिश पर लग कर फिसल जाता है और सिरे से ही ग़ुस्ल नहीं होता।
जब ग़ुस्ल ही न हुआ तो नापाक ही रहा और नापाकी की हालते में नमाज़ पढ़ी तो नमाज़ न होगी और जान बूझकर नापाक रहना सख़्त गुनाह है। अल्लाह न करे अगर इस हालत में मौत आ गई तो इसका वबाल अलग और नापाकी में अक्सर शरीर जिन्नात का असर होता है। इसलिए औरतों को चाहिए कि नाख़ुन पालिश न लगाएं।