मुस्लिमा औरत ने कफिर से शादी कर ली तो क्या उसकी जनाज़ा पढ़ी जाएगी

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 मुस्लिमा औरत ने कफिर से शादी कर ली तो क्या उसकी जनाज़ा पढ़ी जाएगी

 सवाल  : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसले के बारे में कि हिंदा एक काफिर के साथ कोर्ट मैरिज कर के अज़्दवाजी जिंदगी गुजार रही है समझाने पर वह कहती है कि मेरा शौहर वह अपने मज़हब पर है और मैं अपने दिनों मज़हब पर कायम हूं तो इसमें क्या खराबी है ? और वह सोम सलात (रोज़ा नमाज़) कि कभी-कभी अदायगी भी करती है अब उस औरत के इंतकाल के बाद उस की नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ी जाएगी या नहीं ? जवाब इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी
 साईल :  मोहम्मद शहबान खान (अमवा भारी)


 जवाब  : किसी काफिर व मुशरिक से शादी करना हार्गीज़ जायज़ नहीं हिंदा एक काफिर के साथ कोर्ट मैरिज करने की वजह से सख्त गुनाहगार मुस्तहिक़ ए अज़ब नार हुई लेकिन जब वह अपने वालिदैन के दीन व मज़हब पर क़ायम रहने का इक़रार करती है और वह वाक़ई सुन्नीया सहीहुल अक़ीदा है तो इंतकाल के बाद मुसलमानों की तरह उसकी तजहिज़ व तकफिन की जाएगी और नमाज़ ए जनाज़ा भी पढ़ी जाएगी और मुसलमानों के कब्रिस्तान में दफन भी की जाएगी फतावा ए फैजुर रसूल मैं है की  ज़िना करने वाले शराब पीने वाले जुआ खेलने वाले सूद खाने वाले वालिदैन की नाफरमानी करने वाले और क़िस्म के दूसरे गुनाहे कबीरा जिनकी हुरमत नस्से क़तई से साबित है उनकी मुर्तकिब की भी नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ना मुसलमानों पर वाजिब है (फतावा ए फैजूर रसूल जिल्द १ / २८४)
والله و رسولہ اعلم باالصواب

 अज़ क़लम 
 मोहम्मद शहरेयार खान क़ादरी

 हिंदी ट्रांसलेट 

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