मियाँ बीवी के हुक़ूक़

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 मियाँ बीवी के हुक़ूक़

आयत  अल्लाह रब्बुलइज़्ज़त इरशाद फ़रमाता है(هن لباس لكم وانتم لباس لهن )तर्जमा:  वह तुम्हारी लिबास है और तुम उनके लिबास।【सूरह बक़रा आयत–187】

इस आयते करीमा में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने किया ही ख़ूब बेहतरीन मिसाल के ज़रिए मियाँ बीवी के एक दूसरे पर हुक़ूक़ के मुतअल्लिक़ अपने बंदों को समझाया है।लिबास जिस्म के उयूब (ऐबों) को छुपाता है, इसी तरह बीवी अपने शौहर के उयूब को और शौहर अपनी बीवी के उयूब को छुपाने वाले बने। मुहज़्ज़ब इंसान बग़ैर लिबास के नही रह सकता। इसी तरह तमद्दुन याफ़्ता मर्द या औरत बग़ैर निकाह के नही रह सकते।

लिबास के मैले होने पर धोया जाता है इसी तरह शौहर और बीवी ग़म व परेशानी के मौके पर एक दूसरे का मुक़म्मल सहारा बने और ग़मों को धो डालें। लिबास में अगर कोई मामूली सा दाग़ लग भी जाए तो तो लिबास फैंका नही जाता बल्कि उसे धो कर साफ़ कर लिया जाता है। इसी तरह मियाँ बीवी एक दूसरे की छोटी ग़लतियों को माफ़ करें और ग़लतियों के दाग़ को माफ़ी के पानी से धो कर साफ़ कर लें।





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