क्या काफिर के जूठे पानी से पाकी हासिल कर सकते हैं
सवाल क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में की काफिर का जूठा पाक है या नापाक ? क्या काफीर के जूठे पानी से पाकी हासिल कर सकते हैं या नहीं ? हदीस की रौशनी में जवाब इनायत फरमाएं
साईलमौलाना मोहम्मद मुक़ीम रज़ा
जवाब हर मसअला हदीस से बयान नहीं किया जा सकता फिर हर इंसान के बस की बात नहीं की हदीस पाक से मसअला अख्ज़ करे इसलिए हमारे फुक़्हा ने जो मसअला कुरआन व हदीस की रौशनी में बयान किया है हम उसी का मुतालआ करें,
काफिर का जूठा पाक है जैसा कि अल्लामा सदरुश्शरिया अलैहिर्रहमां तहरीर फरमाते हैं की आदमी चाहे जुंब हो या हैज़ व निफास वाली औरतउसका जूठा पाक है काफिर का भी जूठा पाक हैमगर उस से बचना चाहिए जैसे थूकरीठ खखार भी पाक है मगर उनसे आदमी घीन करता है उस से बहुत बदतर काफिर के जूठे को समझना चाहिए (बहारे शरीअत हिस्सा २आदमी और जानवरों के जूठे के बयान)
और अगर साईल यह पूछना चाहता है कि काफिर जिस पानी को पीलिया हो उस से गुस्ल कर सकते हैं या नहीं तो इसका जवाब यह है कि गुस्ल नहीं कर सकते क्योंकि वह मुस्तअमल हो गया और माए मुस्तअमल से वजू या गुस्ल जायज़ नहीं
जैसा कि सदरुश्शरिया अलैहिर्रहमां तहरीर फरमाते हैं अगर बे वजू शख्स का हाथ का उंगली या पूरा या नाखुन या बदन का कोई टुकड़ा जो वज़ू में धोया जाता हो बक़स्द या बिलाक़स्द दह दर दह से कम पानी में बे धोए हुए पड़ जाए तो वह पानी वजू और गुस्ल के लाइक़ ना रहा,
इसी तरह जिस शख्स पर नहाना फर्ज़ है और उसके जिस्म का कोई बे धुला हुआ हिस्सा पानी से छू जाए तो वह पानी वजू और गुस्ल के काम का ना रहा, (बहारे शरीयत हिस्सा २)
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)