जन्नत का बयान
जन्नत में हर आदमी की ख़ुराक 100 आदमियों की होगी और हर एक को 100 बीवियों के रखने की ताक़त दी जाएगी ! हर वक़्त ज़ुबान से तस्बीह व तक़बीर वगैरह बिना इरादे के बिना मेहनत के जैसे सांस चलती है उसी तरह आदमी की ज़बान से अल्लाह की तस्बीह ओर तक़बीर जारी रहेगी !
हर जन्नती के सिरहाने दस हज़ार ख़ादिम खड़े होंगे ! इन खादिमों के हाथ मे चांदी का प्याला ओर दूसरे हाथ मे सोने का प्याला होगा ! हर प्याले में नई नई नेमतें होंगी ! जन्नती जितना खाता जाएगा, उन चीज़ों की लज्जत उतनी बढ़ती जाएगी ! हर लुकमे और निवाले में 70 मजे होंगे ! हर मज़ा अलग अलग होगा ! और जन्नती सबको एक साथ महसूस करेंगे ! न तो जन्नतियों के कपड़े मैले होंगे न उनकी जवानी ढलेगी !(बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 42)
फ़रमाने मौला अली शेरे खुदा
ख़र्च करो, तश्हीर न करो और ख़ुद को इस लिये बुलन्द न करो कि तुम्हें पहचाना जाए और तुम्हारा नाम हो बल्कि छुपे रहो और ख़ामोशी इख़्तियार करो, सलामत रहोगे!( हवाला एहयाउल उलूम, जिल्द 3, सफ़ह 339)