जन्मदिन पर केक काटना कैसा है
सवाल क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में की एक इमाम अपनी पैदाइश के मौक़ा पर अपने तमाम दोस्तों के साथ एक होटल में जाकर केक काटता है और लोग तालियां बजाकर उसके पैदाइश की मुबारकबाद पेश करते हैं खाने-पीने का भी एहतमाम होता हैतो अब अर्ज़ यह है कि ऐसा करने वाले इमाम के लिए शरीयत का क्या हुक्म है ? और यह भी बताएं कि इमाम और आवाम के लिए शरीयत का एक ही हुक्म होगा या अलग अलग ? क्या उस इमाम के पीछे नमाज़ होगी ? बराय मेहरबानी जवाब इनायत फरमाएं
साईलहैदर मियां व मेराज रज़ा बलगरामी
जवाब जन्मदिन यानी विलादत मनाना शरअन जायज़ है अलबत्ता केंक काटना मर्द औरत का मिलाप होना ताली बजाना यहूद व नसारा का तरीक़ा है जो शरअन नाजायज़ व हराम है,
हुजूर अलैहिस्सलाम ने फरमाया
من تشبہ بقوم فھو منھم
जो जिस क़ौम से मुशाबहत रखेगा वह उन्हीं में से है (मिशकात)
आलिम और तमाम मुसलमानों पर लाज़िम है कि एलानिया तौबा करें कि तौबा गुनाह में मआवून हैं जैसा की इरशाद ए रब्बानी है
اِلَّا مَنْ تَابَ وَ اٰمَنَ وَ عَمِلَ عَمَلًا صَالِحًا فَاُولٰٓئِکَ یُبَدِّلُ اللّٰہُ سَیِّاٰتِہِمْ حَسَنٰتٍ ؕ وَ کَانَ اللّٰہُ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا
मगर जो तौबा करें और ईमान लाए और अच्छा काम करें तो ऐसों के बुराइयों को अल्लाह भलाईयों से बदल देगा और अल्लाह बख्शने वाला मेहरबान है,
(कंज़ुल ईमान सूरत फुरक़ान७०)
और अगर तौबा ना करें तो सारे मुसलमान बाईकाट कर दें जैसा कि कुरान शरीफ में है
وَ اِمَّا یُنۡسِیَنَّکَ الشَّیۡطٰنُ فَلَا تَقۡعُدۡ بَعۡدَ الذِّکۡرٰی مَعَ الۡقَوۡمِ الظّٰلِمِیۡنَ
और जो कहीं तुझे शैतान भुला दे तो याद आए पर ज़ालिमों के पास ना बैठ,
(कंजुल ईमान सूरत अनआम ६८)
शरीयत का हुकुम इमाम और अवाम सब के लिए एक है लिहाज़ा ऐसे शख्स की इमामत जायज़ नहीं हां अगर इमाम तौबा कर ले तो बाद तौबा इमामत जायज़ है
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम
फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)