क्या जय श्री औरंगज़ेब व जय श्री बाबर कहना दुरुस्त है

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 क्या जय श्री औरंगज़ेब व जय श्री बाबर कहना दुरुस्त है


 सवाल  क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में की हिंदू मुशरकीन अपने मअबूदों को इस तरह पुकारते हैंजय श्री रामजय श्री कृष्णा वगैरा जय का माना होता है फतेहश्री यानी हज़रत,जनाबतो इस का मफहूम बनता है (उनके मअबूद,भगवान) राम की फतेह होकृष्ण की फतेह होभारत के हिंदू की इस्लाम दुश्मनी सब पर ज़ाहिर है और उन मुशरकीन को हिंदुस्तानी मुसलमान सलातीन खुसूसन हजरत औरंगज़ेब आलमगीर व सुल्तान ज़हिरूद्दीन बाबर से बहुत तकलीफ होती है तो क्या मुशरकीन का दिल जलाने के लिए जय श्री औरंगज़ेब व जय श्री बाबर कहना दुरुस्त होगा ? कहीं यह शिर्क व कुफ्र के दायरे में तो नहीं आ जाएगा रहनुमाई फरमाए

 साईलएखलाक़ निज़ामी गुजरात

 जवाब  जय श्री औरंगज़ेब व जय श्री बाबर कहना सख्त मना हैऔव्वल यह की जय श्री कहना कुफ्फारों की बोली है और नबी करीम ﷺ ने हमें उनकी मुशाबहत से मना फरमाया है
 من تشبہ بقوم فھو منھم
सानियन यह फितना का बाअस होगा और दीन ए इस्लाम फितना को पसंद नहीं फरमाता ना किसी को बिला वजह तकलीफ पहुंचाने की शरीयत हमें इजाज़त देती हैबल्कि मज़कूरा जुमला कह कर मुशरकीन का दिल जलाना नहीं होगा बल्कि अंबिया ए किराम अलैहिमुस्सलाम व औलिया ए किरामबुज़र्गान ए दीन रहमहुमुल्लाह आलैहिम को गाली देना होगा,

 हदीस शरीफ में है 
 عَنْ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عَمْرِو بْنِ الْعَاصِ أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّی اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ مِنَ الْکَبَائِرِ شَتْمُ الرَّجُلِ وَالِدَيْهِ قَالُوا يَا رَسُولَ اللَّهِ وَهَلْ يَشْتِمُ الرَّجُلُ وَالِدَيْهِ قَالَ نَعَمْ يَسُبُّ أَبَا الرَّجُلِ فَيَسُبُّ أَبَاهُ وَيَسُبُّ أُمَّهُ فَيَسُبُّ أُمَّهُ
 हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर बिन आस से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ने फरमाया कि बड़े गुनाह यह है कि कोई आदमी अपने मां बाप को गाली दे सहाबा ए किराम रज़ि अल्लाहू तआला अन्हुम ने अर्ज़ क्या ऐ अल्लाह के रसूल ﷺ क्या कोई आदमी अपने वालिदैन को गाली दे सकता है ? आप ﷺ ने फरमाया हांकोई आदमी किसी के बाप को गाली देता है तो उसके बाप को गाली देता है और कोई किसी की मां को गाली देता है तो वह उसकी मां को गाली देता है (صحیح مسلم کتاب: ایمان کا بیان،حدیث نمبر۲۶۳)

 इस हदीस शरीफ की रौशनी में यह कहा जा सकता है कि अगर हम मुशरकीन के दिल को जलाने के लिए कहेंगे तो वह ज़रूर हमारे अकाबिरीन को गाली देंगे बुरा भला कहेंगे बल्कि जहां मुसलमान को कमज़ोर पाएंगे मारपीट भी करेंगे फिर एक बहुत बड़ा फितना खड़ा होगा जो शरअन जायज़ नहीं है, लिहाज़ा मज़कूरा बाला जुमला कहने से परहेज़ किया जाए

والله و رسولہ اعلم باالصواب

  अज़ क़लम

  फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी

हिंदी ट्रांसलेट

मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)



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