फाल खोलना कैसा है
सवाल क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में की ज़ैद फाल खोलता है और बताता है कि तुम्हारा यह काम होगा यह काम नहीं होगा इसकी हक़ीक़त क्या है और फाल खोलने और खुलवाने पर हुक्मे शरअ क्या है
साईलमोहम्मद वसीम फैज़ी रिज़वी
जवाब सरकार ए आला हज़रत रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू फरमाते हैं कि फाल एक किस्म का इस्तखारा है इस्तखारा की अस्ल कुतुब ए अहादीस में ब कसरत मौजूद है दिवाने हाफिज़ वगैरा (या उसके मिस्ल किताब) से बतौरे तफाउल जायज़ है, (फतावा रज़विया जिल्द २३ सफा ३९७)
मगर यह फाल नामा जो आवाम में मशहूर है और अकाबीर की तरफ मनसूब है बेअस्ल व बातिल है क्योंकि कुरान अज़ीम से फाल खोलना मना व मकरूहे तहरीमी है
जैसा कि मुजद्दीदे आज़म सरकार ए आला हज़रत रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू तहरीर फरमाते हैं कि
कुरान अज़ीम से फाल देखने में अइम्मा मज़ाहिबे अरबा के चार क़ौल हैंबाज़ हम्बलिया मुबाह कहते हैंऔर शाफईया मकरूह ए तंजीहीऔर मालकिया हराम कहते हैंऔर हमारे उलमा ए किराम फरमाते हैं नाजायज़ व ममनूअ व मकरूह ए तहरीमी हैकुरान इसलिए ना उतारा गया हमारा क़ौल क़ौले मालकिया के क़रीब है बल्कि इन दत्तहक़ीक़ दोनों का एक हासिल है
और शरहे फिक़्ह ए अकबर में है
इमाम नौवी ने फरमाया नजूमी और रमाल और इल्म हुरुफ की मुद्दई की पैरवी जायज़ नहींक्योंकि वह काहीन के मिस्ल हैमुसहफ शरीफ की फाल है कुरान मजीद खोल कर पहला सफा और सातवें सफा की सातवीं सत्र देखें अल्ख,, (फतावा अफरीक़ा सफा १४९)
फाल खोलने वाला अगर इस्तखारा करके बताता है जैसा कि अहादीस में है या देवान हाफीज़ वगैरा (या उसके मिस्ल किताब) से फाल खोलता है तो यह जायज़ है ना खोलने वाले पर गुनाह है ना कि खुलवाने वाले पर क्योंकि यह नेक फाल है
और इसका ज़िक्र अहादीसे तैय्यबा में मौजूद है
عَنْ أَنَسٍ، قَالَ: قَالَ النَّبِیُّ صَلَّی اللَّہُ عَلَیْہِ وَسَلَّمَ:لَا عَدْوَی وَلَا طِیَرَۃَ، وَأُحِبُّ الْفَأْلَ الصَّالِحَ
हज़रत अनस रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू से रिवायत है कि नबी अकरम ﷺ ने फरमाया छूत छात और बदशुगनी कोई चीज़ नहींऔर मैं फाल नेक को पसंद करता हूं, ( इब्ने माजा हदीस नंबर ३५३७)
और अगर कुरान मजीद से फाल निकलता हो तो यह ज़रूर नाजायज़ हैऐसे शख्स पर तौबा लाज़ीम है यूं ही खुलवाने वाले पर भी अगर पोशीदा तौर पर करता हो तो तौबा कर ले और अगर एलानिया करता हो तो एलानिया तौबा लाज़ीम है
इस सूरत में उसके पीछे नमाज़ मकरूह ए तहरीमी है जिसका दोहराना वाजिब है और अगर तौबा कर ले और फाले बद छोड़ दें तो कोई बात नहींक्योंकि अल्लाह तआला गफूरूर्रहीम है तौबा को कुबूल फरमाता है और तौबा करने वालों को पसंद करता है जैसा कि कुरान शरीफ में है
اِنَّ اللّٰہَ یُحِبُّ التَّوَّابِیْنَ وَ یُحِبُّ الْمُتَطَہِّرِیْنَ
बेशक अल्लाह पसंद करता है बहुत तौबा करने वालों को और पसंद रखता है सुथरों को (सुरह बक़रा २२२)
और अगर ज़ैद यक़ीन के साथ बताता है कि फलां काम होगा भला नहीं या फलां काम में नफा होगा और फलां में नुक़सान होगा तो ज़ैद इस्लाम से खारिज हो गया,
सैयदी सरकार ए आला हज़रत रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू इसी तरह के एक सवाल के जवाब में तहरीर फरमाते हैं की अगर यह अहकाम क़तअ व यक़ीन के साथ लगाता हो जब तो वह मुसलमान ही नहींउसकी तस्दीक़ करने वाले को सही हदीस में फरमाया
فَقَدْ کَفَرَ بِمَانُزِّل عَلٰی مُحَمَّد
यानी उसने उस चीज़ के साथ कुफ्र किया जो मोहम्मद ﷺ पर उतारी गई और अगर यक़ीन नहीं करता जब भी आमतौर पर जो फाल देखना राएज है मअसीयत (यानी गुनाह) से खाली नहीं, (फतावा रज़विया जिल्द ३ सफा १०१ दावते इस्लामी)
खुलासा कलाम यह है कि फाल वगैरा ना खोलना चाहिए ना खुलवाना चाहिए अगर कोई मरीज़ आए तो उसकी परेशानी के मुताबिक़ तावीज़ दे दे या दुआ कर दे यही बेहतर है,
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)