हालत ए एतिकाफ में हैज़ आ जाए तो क्या हुक्म है
सवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला के बारे में की रमज़ानुल मुबारक में औरत एतिकाफ में हो और हालत ए एतिकाफ में हैज़ आ जाए तो क्या हुक्म है जवाब इनायत फरमाए
साईल : रजब अली निज़ामी
जवाब : औरत को हालत ए एतिकाफ में हैज़ आ जाए तो एतिकाफ फासिद हो जाएगा
और इस सूरत में जिस दिन का एतिकाफ टूटा है सिर्फ उस एक दिन की क़ज़ा उसके जिम्मे वाजिब होगी और अगर ताक़त हो तो पूरे दस दिनों या बक़िया दिनों के एतिकाफ की रोज़े के साथ क़ज़ा करे
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम
हिंदी ट्रांसलेट
साईल : रजब अली निज़ामी
जवाब : औरत को हालत ए एतिकाफ में हैज़ आ जाए तो एतिकाफ फासिद हो जाएगा
जैसा कि बिदाउस सनाअ
(بدائع الصنائع) मे है (ولو حاضت المرأۃ فی حال الاعتکاف فسد اعتکافہا لان الحیض ینافی اھلیۃ الاعتکاف لمنافاتھا الصوم لھذا منعت من العقاد الاعتکاف فتمنع من البقاء۔) ((بدائع الصنائع، جلد۲، ص۱۱۶ ، کتاب الاعتکاف))
लिहाज़ा रमज़ानुल मुबारक में औरत अगर एतिकाफ में बैठी थी और उसी दरमियान में हैज़ आ गया तो चियूंकी एतिकाफ फासिद हो गया. इसलिए औरत एतिकाफ छोड़ दे फिर हैज़ से पाक होने के बाद रोज़े के साथ क़ज़ा करे क्योंकि इस सूरत में भी क़ज़ा लाज़िम है जैसा कि हुजूर सदरूश्शरिया बदरूत्तरीक़ा मुफ्ती अमजद अली आज़मी तहरीर फरमाते हैं एतिकाफ की क़ज़ा सिर्फ क़सदन तोड़ने से नहीं बल्कि अगर उज़्र की वजह से छोड़ा मसलन बीमार हो गया या बिला एख्तियार छूटा मसलन औरत को हैज़ या निफास आया जुनून व बेहोशी तवील तारी हुई इनमें भी क़ज़ा वाजिब है (बहारे शरीयत मतबुआ दावते इस्लामी जिल्द १ हिस्सा ५ सफा १०२९)
और इस सूरत में जिस दिन का एतिकाफ टूटा है सिर्फ उस एक दिन की क़ज़ा उसके जिम्मे वाजिब होगी और अगर ताक़त हो तो पूरे दस दिनों या बक़िया दिनों के एतिकाफ की रोज़े के साथ क़ज़ा करे
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम
मोहम्मद चाँद रज़ा ईस्माइली
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)