दुरूद शरीफ़ की बरकत
सलसाईल एक फ़रिश्ता है जिस के तीन बाजू हैं एक मशरिक में, एक मग़रिब में और एक हुजूर ﷺ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के रौज़ए अनवर पर है इसलिए कि जब कोई बन्दा दुरूद शरीफ पढ़ता है तो वह फरिश्ता उसका और उसके बाप का नाम लेकर अर्ज करता है: या रसूलल्लाह! फुलाँ बिन फुलाँ ने आप पर दुरूद भेजा है। आप फरमाते हैं कि इस दुरूद को नूर की रौशनाई से नूर के कागज़ पर लिखो और हमें पेश करो। कियामत में हम इस के कागज़ को मीज़ान में रखेंगे ताकि वह जन्नती हो जाए। (सब्ए सनाबिल शरीफ)