दोज़ख का बयान

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 दोज़ख का बयान 

      हदीस में है की जहन्नम की चारदीवारी की वुसअत चालीस साल की मुसाफ़त है ! दोज़ख को गहराई इतनी ज़्यादा है की अगर पत्थर की चट्टान जहन्नम के किनारे से उसमें फेंकी जाये तो 70 बरस में भी वह तह तक न पहुँचे !

[बुखारी शरीफ़, मिश्कात शरीफ़]

दोज़ख में अज़ाब के 19 फ़रिश्ते है, उन फ़रिश्तों के सरदार का नाम मालिक है ! दोज़ख में मुक़र्रर फ़रिश्तों में हर एक का क़द 100 की राह है ! उनमें से एक फ़रिश्ता जब एक गुर्ज मारता है तो 700000(सात लाख) आदमियों का चूरा हो जाता है !{तफ़सीरे नईमी, इब्ने कसीर}

सजद-ए- सहव का तरीक़ा

हर नमाजी से नमाज़ पढ़ते वक़्त कभी कभी ऐसी गलती हो जाती है कि नमाज़ ना तमाम और ना दूरस्त हो जाती है नमाज़ में पैदा शुदा इस नुक्स (गलती) को सजद ए सहव से दूर किया जा सकता है 

 सजद ए सहव करने का तरीका

सजद ए सहव करने का तरीका यह है की कादा ए आखिरा में अतहिय्यात के बाद दाहेनी तरफ सलाम फैर कर दो सजदे करना फिर का'दा कर के उसमे अतहिय्यात दरूदे इब्राहिम वगैरह पढ़कर दोनो तरफ सलाम फैरना चाहिये, इसी को सजदा ए सहव कहते हैं आपने देखा होगा कभी कभी ईमाम साहब सलाम फेरते वक़्त जब एक तरफ सलाम फेर लेते हैं फिर एक तरफ सलाम फेरने के बाद दो सजदे करते हैं! इसी को सजदा ए सहव कहते हैं!(बहारे शरीअत हिस्सा 4 सफहा 49 )





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