जो देवबंदीयों की नमाज़ ए जनाज़ा पढ़े उस से तक़रीर करवाना कैसा है

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 जो देवबंदीयों की नमाज़ ए जनाज़ा पढ़े उस से तक़रीर करवाना कैसा है


 सवाल  क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में की मदरसा रज़ा ए हसनैन में अभी एक जलसा मुनअक़ीद हुआ जिस दिन में हुजूर असजद मियां बरेली शरीफ की आमद हुई स्टेज संभल के जिम्मेदार उलमा ए किराम भी मौजूद थे मुफ्ती ए आजम संभल मौलाना नफीस साहब की भी उसी स्टेज पर तक़रीर हुई जो कि देवबंदी के जनाज़े की नमाज़ और निकाह पढ़ाते हैं स्टेज पर बैठे हुए उलमा ए किराम में अक्सर को मालूम है तो उन हज़रात पर शरीयत का क्या हुक्म है ? जवाब इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी

 साईलक़ारी बिलाल संभली


 जवाब  देवबंदी वहाबी अपनी अक़ाएद ए बातिला की वजह से बमुताबिक़ फतावा ए हुस्सामुल हरमैन शरीफैन काफिर व मुर्तद हैं जिन के बारे में उलमा ए अरब व आजम ने बिल इत्तेफाक़ यह फतवा दिया
 من شک فی کفرہٖ وعذابہٖ فقد کفر
 यानी जो उनके कुफ्र व अज़ाब में शक करे वह भी काफिर है,

चोयोंकि मैं मौलाना नफीस साहब से वाक़िफ नहीं इसलिए उन पर कुछ हुक्म नहीं लगा सकता हां जिसके अंदर भी यह फेल कबीह पाया जाएगा उन पर एलानिया तौबा लाज़िम होगी जबकि वह किसी मजबूरी व चापलूस की वजह से या गलती से नमाज़ ए जनाज़ा या निकाह पढ़ा ए होंऔर अगर उनके अक़ाएद ए बातिला से वाक़िफ थे फिर भी मुसलमान समझकर ऐसा किए हों तो इस्लाम से खारिज हो गए उन पर तजदीदे ईमान फर्ज़ है और शादीशुदा हों तो तजदीदे निकाह भी, (आम ए कुतूब फतावा)

 रही बात उन हज़रात की जो मेंबर पर तशरीफ़ फरमा थे जो हज़रात उनके क़ौल व फेल से वाक़िफ थे उन पर लाज़ीम था कि उन्हें तक़रीर करने से मना कर दें कि ऐसों को मेंबर पर बैठाना जायज़ नहीं कि उनकी ताज़ीम है और ऐसों की ताज़ीम जायज़ नहीं लिहाजा वह हजरात एलानिया तौबा करें और जो उन से वाक़िफ नहीं थे उन पर शरअन कोई हुक्म नहीं

और अगर वह सिर्फ नाम के देवबंदी थे कि अपने बुजुर्गों की कुफरी इबारत से बाखबर नहीं थे और ना ही उनके क़ौल व फेल से इस तरह ज़ाहिर होता था जिस से उन पर कुफर का फतवा दिया जाए तो वह काफिर नहीं उनसे शादी बियाह जायज़ है अगर्चे बचना अफज़ल है,

 तो अगर इस क़िस्म के देवबंदी का निकाह या नमाज़ ए जनाज़ा मौलाना नफीस साहब ने पढ़ाया है तो शरअन उन पर कोई हुक्म नहीं, (माखूज़  फतावा ए शारेह बुखारी जिल्द ३ सफा ३३०)

والله و رسولہ اعلم باالصواب




 अज़ क़लम
  फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी

 हिंदी ट्रांसलेट 
 मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)





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